वित्त मंत्रालय ने मंथली इकोनॉमिक रिव्यू जारी कर दिया है. इसके मुताबिक FY25 की पहली तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 6.7% रही. ये पूरे साल के लिए 6.5%-7% की बढ़ोतरी के पूर्वानुमान के मुताबिक है.
हालांकि ये सालभर पहले की तुलना में 8.2% की ग्रोथ से काफी कम है. इसकी मुख्य वजह लोकसभा चुनाव से पहले कमजोर सरकारी खर्च और हीटवेव का लंबा प्रभाव रहा.
इस दौरान दुनिया की बड़ी इकोनॉमीज में भारतीय इकोनॉमी सबसे तेजी से बढ़ी. कुलमिलाकर FY21 से अब तक भारत की कम्युलेटिव ग्रोथ 27% रही है.
इसके अलावा पहली तिमाही में निवेश में 7.5% की बढ़ोतरी हुई, ये बढ़ोतरी निजी सेक्टर के निवेश से आई है. मतलब प्राइवेट इन्वेस्टमेंट साइकिल बेहतर हो रहा है.
FY25 के शुरुआती चार महीनों में नेट फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) भी देश में 52.4% बढ़ा है. जबकि ग्रॉस FDI इनफ्लो में 23.7% की तेजी आई और ये बढ़कर 27.7 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया.
मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, कम्युनिकेशन सर्विसेज, कंप्युटर सर्विसेज, इलेक्ट्रिसिटी और अन्य एनर्जी सेक्टर में तिमाही के दौरान कुल FDI इनफ्लो का दो तिहाई आया.
मंत्रालय के मुताबिक वैश्विक समस्याओं के बीच तेल की कीमत में आई गिरावट भारत की अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव फैक्टर है. हालांकि कमजोर वैश्विक मांग के चलते भारत के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में लगभग शून्य ग्रोथ हुई.
FY25 की पहली तिमाही में भारत की GDP 6.7% की रफ्तार से बढ़ी,
FY21 से अब तक 27% क्युमुलेटिव ग्रोथ हुई है
पहली तिमाही में गैर-कृषि क्षेत्रों में 5% से अधिक की बढ़ोतरी हुई.
खरीफ की बुआई में सुधार, जिससे अच्छी खेती की संभावना को बढ़ावा मिला.
पहली तिमाही में प्राइवेट कंजप्शन, फिक्स्ड निवेश और निर्यात में तेजी आई.
शहरी क्षेत्रों में ऑटोमोबाइल की बिक्री और FMCG की बढ़ोतरी में कमी अस्थायी तनाव को दिखा रही है.
मौजूदा तिमाही में इकोनॉमिक एक्सपेंशन के संकेत. ग्लोबल ट्रेड को जियोपॉलिटिकल कंफ्लिक्ट, ट्रेड डिस्प्यूट्स से चुनौती.
ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक अनिश्चित बना हुआ है. मंदी की आशंका के चलते ब्याज दरों में कटौती की गई.
भारतीय राज्यों द्वारा FY25 में कैपिटल स्पेंडिंग में कमी आई.