देश में लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर है, इस चुनावी शोरगुल से दूर देश की आर्थिक स्थिति पर भी नजर रखना जरूरी है, आज Q4 GDP के आंकड़े आएंगे, ये आंकड़े कैसे रहेंगे, इस पर अर्थशास्त्रियों की अपनी-अपनी राय है.
FY24 की चौथी तिमाही में GDP ग्रोथ अनुमान के मुताबिक रहने का अनुमान जताया जा रहा है. वित्त वर्ष की शुरुआत में इकोनॉमी की रफ्तार धीमी थी, लेकिन इसके बाद तेजी आई है.
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिस्ट्स की मानें, तो जनवरी-मार्च तिमाही में GDP ग्रोथ 7% रहेगी. बीते साल चौथी तिमाही में ये 8.4% थी. GVA में 6.3% की बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है.
पूरे साल के लिए, GDP 7.9% की दर से बढ़ेगी. जबकि FY23 में ये 7% रही थी. केंद्र के दूसरे एडवांस अनुमान के 7.6% के आंकड़े से ये ज्यादा ही है.
डॉयशे बैंक (Deutsche Bank) के चीफ इकोनॉमिस्ट कौशिक दास (Kaushik Das) के मुताबिक, 'भारत की इकोनॉमी ने रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड महामारी के बीच भी अच्छा प्रदर्शन किया है. FY24 में भारत की GDP ग्रोथ में एक तेजी की बड़ी वजह कम GDP डिफ्लेटर को भी माना जा सकता है'.
दास ने कहा, 'FY23 में 14.5% के मुकाबले, FY24 में नॉमिनल GDP ग्रोथ कम होकर 9.5% रह जाएगी. लेकिन रियल टर्म्स में, GDP ग्रोथ FY24 में सालाना आधार पर 8% की तेजी से बढ़ी है, जबकि FY23 में ये 7% थी. इसकी बड़ी वजह GDP डिफ्लेटर, जो FY23 में 7.9% था, FY24 में घटकर 1.5% पर आ गया है'.
Q4FY24 में GVA ग्रोथ 5.7% रहने का अनुमान है. बीती तिमाही में ये 6.5% रही थी. ICRA में चीप इकोनॉमिस्ट अदिति नायर (Aditi Nayar) के मुताबिक, इस तेजी की एक बड़ी वजह इंडस्ट्रियल सेक्टर और सर्विसेज सेक्टर में शानदार ग्रोथ थी. इंडस्ट्रियल सेक्टर की ग्रोथ 10.4% और उसके बाद 7.9% रही थी. वहीं, सर्विसेज सेक्टर में ग्रोथ 7% के बाद 6.2% रही थी.
उन्होंने कहा, 'रबी की कमजोर फसल और यील्ड पर बढ़ती चिंताओं के बीच एग्रीकल्चरल GVA लगातार दूसरी तिमाही में 0.5% रहने का अनुमान है'.
IDFC फर्स्ट बैंक में चीफ इकोनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता (Gaura Sengupta) के मुताबिक, 'एक्सपेंडिचर के लिहाज से, ग्रामीण खपत में Q4FY24 में सुधार हुआ है'.
उन्होंने कहा, 'FMCG ग्रोथ सेल्स का वॉल्यूम Q4FY24 में बेहतर हुआ है. NREGA के Q4FY24 में घटने से रोजगार की डिमांड घटी है. लेबर मार्केट की परिस्थिति में सुधार हो रहा है. पैसेंजर व्हीकल सेल्स में पिकअप और FMCG सेल्स ग्रोथ में कमी के बीच शहरी डिमांड लगभग मिक्स रही है'.
कौशिक दास ने बताया, 'कमजोर GDP डिफ्लेटर के चलते FY24 में रियल GDP ग्रोथ देखने को मिली है. अगर रियल GDP में CPI महंगाई का वेटेज दिया जाता, जो कि दिया जाना चाहिए, रियल GDP अपने आप ही कम नजर आती'.
GDP डिफ्लेटर WPI और CPI महंगाई के आधार पर निकाली जाती है. इसमें इन दोनों का 65-70% तक वेटेज दिया जाता था.
दास ने बताया, WPI महंगाई को ज्यादा वेटेज नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि सर्विसेज सेक्टर GDP में सबसे ज्यादा (64-65%) का कंट्रीब्यूशन होता है. वहीं, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का GDP में कंट्रीब्यूशन बहुत कम होता है. लेकिन, जैसे कि प्रथा चली आ रही है, GDP डिफ्लेटर निकालने में भी यही इस्तेमाल हो रहा है.