सरकार ने GDP की गणना के लिए बेस ईयर 2011-12 से बढ़ाकर 2022-23 कर दिया है. सोमवार को सांख्यिकीय मंत्रालय की तरफ से जारी मीडिया स्टेटमेंट में इसकी सूचना दी गई है. मंत्रालय ने संसद में दाखिल की गई एक लिखित प्रतिक्रिया में भी इसकी पुष्टि की है.
सरकार ने स्टैटिस्टिकल सिस्टम को ठीक करने के लिए कुछ कदम भी उठाए हैं. इसके तहत एक कमिटी का गठन, डेटा स्ट्रक्चर का मानकीकरण और सरकारी डेटा का इस्तेमाल समेत अन्य चीजें शामिल है. मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि नई GDP सीरीज के फरवरी 2026 में लॉन्च होने की उम्मीद है. सरकार GDP के आंकड़ों को स्पष्ट करने के लिए बैक सीरीज के आंकड़े भी उपलब्ध करवाएगी.
जैसा मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के NR भानुमूर्ति बताते हैं कि 2011-12 के बेस ईयर के चलते सटीक आर्थिक स्थितियों का पता नहीं चल पाता था. उन्होंने बताया कि रिवीजन प्रोसेस सरकार द्वारा किए गए कई सर्वे पर आधारित है, जिनका उद्देश्य दरों और रेश्यो का वास्तविक प्रतिनिधित्व करना है.
सरकार ने नेशनल अकाउंट्स स्टैटिस्टिक्स पर एक एडवाइजरी कमिटी का गठन भी किया है. इस कमिटी में केंद्र और राज्य सरकार RBI, यूनिवर्सिटीज के सदस्य होंगे, साथ ही रिसर्चर्स भी होंगे. कमिटी ने नए डेटा सोर्सेज की पहचान करेगी, साथ ही इस पर सलाह देगी कि नेशनल अकाउंट्स स्टैटिस्टिक्स को कैसे इकट्ठा किया जाए.