कीर स्टार्मर के दोबारा ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने के साथ इसका सीधा असर भारत-ब्रिटेन (India UK) के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी पड़ेगा. हालांकि भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (Free Trade Agreement) पर इसका असर बिल्कुल न के बराबर रहने की उम्मीद है मगर देश के नए निर्वाचित प्रधानमंत्री का स्किल्ड प्रोफेशनल्स को वीजा जैसे मुद्दों पर अलग रुख हो सकता है.
कुछ मामलों में लेबर पार्टी का मत अलग है, लेकिन वो FTA पर स्थिति को बरकरार रख सकते हैं. लेबर पार्टी को लगता है कि भारत को मार्केट एक्सेस और निर्यातकों को टैरिफ राहत के बड़े फायदे हैं. लेबर पार्टी ने अपने घोषणापत्र में सहयोगियों और क्षेत्रीय ताकतों को मजबूत करने का जिक्र किया था.
NDTV Profit ने इससे पहले रिपोर्ट किया था कि चुनाव नतीजों से अलग व्यापार वार्ता जारी रहने की उम्मीद है. वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने संकेत दिया था कि आम चुनावों क खत्म होने के बाद डील को सील करने से पहले मुद्दों को सुलझाया जाएगा.
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के फाउंडर और पूर्व इंडियन ट्रेड सर्विस ऑफिसर अजय श्रीवास्तव को उम्मीद है कि समझौते पर इस साल अक्टूबर तक हस्ताक्षर किए जा सकते हैं. भारत और ब्रिटेन के बीच बातचीत जनवरी 2022 में शुरू हुई थी.
अभी बातचीत का 14वां दौर जारी है. समझौते में 26 चैप्टर हैं. इनमें गुड्स, सर्विसेज, निवेश और इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी से जुड़े चैप्टर्स शामिल हैं.
श्रीवास्तव ने कहा कि नई सरकार के सामने आएगा कि भारत के साथ समझौते से ब्रिटेन के निर्यातकों को कीमतों में बड़ा फायदा मिलेगा. इससे लगभग तुरंत भारत को होने वाला निर्यात बढ़ सकता है. प्रमाण के तौर पर वो हाल के उदाहरणों को देख सकता है. जैसे भारत के साथ FTA के बाद देश को एशियान, जापान और दक्षिण कोरिया से होने वाले निर्यात में लगातार सुधार आना.
ब्रिटेन व्हिस्की और ऑटोमोबाइल जैसी चीजों पर टैरिफ में कटौती की उम्मीद कर रहा है. इन चीजों पर 100 से 150% तक की ड्यूटी लगती है. ब्रिटेन भारतीय टेलीकॉम, लीगल और फाइनेंशियल सर्विसेज में निर्यात बढ़ाने पर विचार कर रहा है.
भारत के लिए भारतीय प्रोफेशनल्स को ब्रिटेन के वीजा के अलावा ड्यूटी में कटौती से टेक्सटाइल, अपैरल और फुटवियर को फायदा हो सकता है. भारत शॉर्ट टर्म वर्क विजिट के दौरान भुगतान किए गए सोशल सिक्योरिटी कंट्रीब्यूशंस पर म्यूचुअल एग्जम्पशन भी मांग रहा है.
लेबर पार्टी कन्जर्वेटिव पार्टी के मुकाबले जलवायु परिवर्तन पर सख्त रुख ले सकती है. ये भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौती हो सकती है.
श्रीवास्तव के मुताबिक भारत को सफाई मांगनी चाहिए कि कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म से उसके निर्यात पर क्या असर होगा. क्योंकि भारत को ऊंचे कार्बन टैक्स से नुकसान हो सकता है. ब्रिटेन का प्रस्तावित CBAM भारतीय निर्यात के लिए बड़ी चिंता है. श्रीवास्तव ने कहा कि इसकी वजह से ब्रिटेन आयात पर ज्यादा टैक्स लगाना शुरू कर सकता है. ये मौजूदा औसत टैरिफ दरों से कहीं ज्यादा हो सकता है. जबकि FTA से टैरिफ घट या खत्म हो सकता है. भारतीय निर्यात को अभी भी भारी कार्बन टैक्स का सामना करना पड़ सकता है.