घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग (International Demand) में सुधार के साथ भारतीय सर्विसेज कंपनियों के नए ऑर्डर्स फरवरी के दौरान सबसे तेज दर से बढ़े हैं. ग्रोथ में बढ़ोतरी के पीछे आउटपुट में तेज इजाफा और रोजगार (Employment) में भारी बढ़ोतरी भी है.
हालांकि कंपनियों ने जिक्र किया कि लागत का बोझ बढ़ा है. वहीं महंगाई घटकर चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है. इस बीच आउटपुट कीमतों में बढ़ोतरी की दर जनवरी के समान है और इसलिए ये लंबी अवधि के औसत से ज्यादा बनी हुई है.
सीजनली एडजस्टेड HSBC इंडिया सर्विसेज PMI बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स जनवरी के 26 महीने के निचले स्तर 56.5 प्वाइंट से बढ़कर फरवरी में 59.0 पर पहुंच गया है. ये तेज बढ़ोतरी की ओर संकेत देता है, जो लंबी अवधि के औसत से ज्यादा है.
HSBC इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स भी समान अवधि में 57.7 से बढ़कर 58.8 पर पहुंच गया, जो बढ़ोतरी की तेज दर दिखाता है.
प्रोडक्टिविटी बढ़ने, बेहतर डिमांड और नए कारोबार में ज्यादा बढ़ोतरी से आउटपुट ग्रोथ में मिलती है. फरवरी में सेल्स में और बढ़ोतरी हुई है. अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर्स में इजाफे ने इस ट्रेंड को समर्थन दिया है. सर्विस प्रोवाइडर्स को अफ्रीका, एशिया, यूरोप और अमेरिका के क्लाइंट्स से बेहतर डिमांड मिली है. कुल मिलाकर छह महीने में एक्सटर्नल सेल्स सबसे तेज रफ्तार से बढ़ी है.
नए कारोबार और बढ़ती क्षमता के दबाव को देखते हुए भारतीय सर्विसेज कंपनियां रिक्रूटमेंट ड्राइव कर रही हैं. रोजगार में तेज बढ़ोतरी हुई है. ये दिसंबर 2005 में डेटा कलेक्शन शुरू होने के बाद से सबसे तेज दरों में से एक है. पैनलिस्ट्स के मुताबिक फुल और पार्ट टाइम स्टाफ को हायर किया गया है.
श्रम को लागत के दबाव का एक स्रोत माना गया है. अतिरिक्त नियुक्तियों, ज्यादा सैलरी और ओवरटाइम पेमेंट्स ने दिक्कत पैदा की. इसके अलावा फूड, मैटेरियल और पैकेजिंग पर भी ज्यादा खर्च हुआ है.