भारत की मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) गतिविधियां अक्टूबर में बढ़ी हैं. सोमवार को जारी एक निजी सर्वे में दिखा कि इसके पीछे वजह ऑपरेटिंग स्थितियां हैं, जिसने भारतीय सामान के लिए मजबूत डिमांड (Demand) को बढ़ावा दिया है. HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI यानी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अक्टूबर में 57.5 पर पहुंच गई है. इससे पहले सितंबर में ये 56.5 पर रही थी जो आठ महीने का निचला स्तर था. ये ऑपरेटिंग स्थितियों में बड़े और तेज सुधार को दिखाता है.
सोमवार को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक भारतीय सामानों के लिए मजबूत डिमांड से प्रदर्शन में सुधार आया है. कंपनियों की ऑर्डर बुक वॉल्यूम में भारी बढ़ोतरी हुई है. ये करीब 20 साल के डेटा कलेक्शन में दिखे औसत से ज्यादा मजबूत रही है. पिछले प्रमाणों से पता चला है कि नए प्रोडक्ट्स को पेश करने और सफल मार्केटिंग कदमों ने सेल्स परफॉर्मेंस को बढ़ाने में मदद की है.
नए एक्सपोर्ट ऑर्डर्स में भी मजबूत ग्रोथ देखने को मिली है. इससे पहले सितंबर के दौरान डेढ़ साल में सबसे कमजोर उछाल रहा था. अक्टूबर में प्रोडक्शन वॉल्यूम में भी अच्छी बढ़ोतरी हुई है. इसमें कंज्यूमर और इन्वेस्टमेंट गुड्स कैटेगरी में तेज इजाफे ने मदद की है.
आउटपुट में बढ़ोतरी को समझाते हुए कंपनियों ने डिमांड बढ़ने, पॉजिटिव सेल्स और बाजार की अच्छी स्थिति का जिक्र किया. अक्टूबर के डेटा से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में महंगाई के दबाव का संकेत मिलता है. इनपुट प्राइस से जुड़ी महंगाई तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई, हालांकि ये लंबी अवधि के ट्रेंड से नीचे बनी हुई है.
इस बीच आउटपुट कीमतों मजबूती के साथ बढ़ी हैं. तीसरे वित्त वर्ष की शुरुआत में मैन्युफैक्चर्रस ने अतिरिक्त कर्मचारियों को नौकरी पर रखा. हर 10 में से एक पैनालिस्ट ने नौकरी में बढ़ोतरी की बात कही. जबकि 1% ने कटौती की.