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July Economic Review: FY25 के शुरुआती 4 महीनों में सही रास्ते पर विकास की रफ्तार, खुदरा महंगाई में आई कमी

बीते चार महीनों के दौरान टैक्स बेस बढ़ने और बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधियों के चलते आने वाले महीनों में GST कलेक्शन नई ऊंचाइयों पर पहुंचने का अनुमान है: जुलाई इकोनॉमिक रिव्यू में वित्त मंत्रालय
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी05:08 PM IST, 22 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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भारतीय इकोनॉमी FY25 के पहले चार महीनों में विकास की रफ्तार को बरकरार रखने में कामयाब रही है. बता दें 2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे में FY25 में रियल GDP ग्रोथ 6.5% से 7% रहने का अनुमान लगाया था.

वित्त मंत्रालय द्वारा जुलाई के लिए जारी इकोनॉमिक रिव्यू (July Economic Review) के मुताबिक जून-जुलाई में कमजोर मॉनसून के बावजूद फिलहाल देश विकास लक्ष्यों के लिए सही रास्ते पर है. साथ ही इन 4 महीनों में खुदरा महंगाई में भी गिरावट देखी गई है.

जुलाई इकोनॉमिक रिव्यू की बड़ी बातें:

  • बीते चार महीनों के दौरान टैक्स बेस बढ़ने और बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधियों के चलते आने वाले महीनों में GST कलेक्शन नई ऊंचाइयों पर पहुंचने का अनुमान है.

  • केंद्रीय बजट 2024-25 में मजबूत फिस्कल कंसोलिडेशन का रास्ता तय किया गया था. अच्छे रेवेन्यू कलेक्शन, रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में अनुशासन और बेहतर इकोनॉमिक प्रदर्शन से आगे फिस्कल डेफिसिट को कम करने में मदद मिलेगी. FY24 में ये 5.6% रहा था. इसके FY25 में घटकर 4.9% रहने का अनुमान है.

एक्सपोर्ट की तुलना में इंपोर्ट बढ़ने से मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट बढ़ा है. हालांकि मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दोनों में ही पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है. एक्सपोर्ट में हुआ इजाफा भारत के बड़े एक्सपोर्टिंग पार्टनर्स की डिमांड में आई रिकवरी के चलते हुई है. वहीं घरेलू मांग बढ़ने से इंपोर्ट डिमांड भी बढ़ी है.
  • आगे मॉनसून के बेहतर होने से फूड इन्फ्लेशन को कम करने में मदद मिलेगी. खुदरा महंगाई जून में 5.1% थी, जो जुलाई में गिरकर 3.5% पर आ गई. ये अगस्त 2019 के बाद बीते 5 साल का सबसे निचला स्तर है. ये गिरावट फूड इन्फ्लेशन में आई बड़ी गिरावट के चलते रही है.

  • सर्विसेज सेक्टर में बढ़िया प्रदर्शन रहा है. बजट 2024 में हुए बड़े ऐलानों से MSMEs, सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को बूस्ट मिलेगा.

  • स्टॉक मार्केट में इस दौरान बढ़िया तेजी रही, निफ्टी और सेंसेक्स नई ऊंचाई पर पहुंचे. FPIs इस दौरान भारतीय बाजार में नेट बायर्स बने. इस दौरान जून और जुलाई में में नेट इनफ्लो 10.8 बिलियन डॉलर रहा. इससे पहले के दो महीनों नेट आउटफ्लो रहा था.

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