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चीन के साथ ट्रेड वार्ता, भारत-पाक में सीजफायर, क्या है अमेरिका का प्लान?

अमेरिका के ये कदम उठाने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. पहली वजह ये कि इस वॉर से अमेरिका दक्षिण एशिया में कहीं ना कहीं पिछड़ जाता, और चीन के खिलाफ कमजोर हो जाता.
NDTV Profit हिंदीशुभम उपाध्याय
NDTV Profit हिंदी08:57 PM IST, 12 May 2025NDTV Profit हिंदी
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पहलगाम में हुए आंतकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल लगातार बढ़ रहा था. पहले गोली फिर गोले, रॉकेट के साथ ड्रोन हमले पाकिस्तान की तरफ से हो रहे थे. भारत शानदार तरीके से हर हमले का जबाव दे रहा था. लेकिन शनिवार की शाम अचानक दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान होता है. और इसमें राष्ट्रपति ट्रंप की भूमिक सामने आती है. इसके बाद भारत-पाकिस्तान के तनाव के बीच अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार्ता का भी ऐलान होता है. आखिर इन दो बड़े मुद्दों के क्या हैं मायने?

अमेरिका और चीन के बीच हुई ट्रेड वार्ता

पहले बात करते हैं अमेरिका और चीन के बीच हुई ट्रेड वार्ता की. आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच हुई ट्रेड वार्ता में चीन अमेरिकी सामान पर 90 दिन के लिए 125% की बजाय सिर्फ 10% टैरिफ लेगा. जबकि अमेरिका भी चीन से इंपोर्ट होने वाले सामान पर 90 दिन तक 145% के बजाय सिर्फ 30% टैक्स लेगा. व्हाइट हाउस की तरफ से ये जानकारी दी गई है कि ये डील अमेरिका के 1.2 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार घाटे को कम कर सकती है.

वार्ता से भारत पर क्या असर पड़ेगा?

अमेरिका और चीन के बीच होने जा रही इस ट्रेड डील का भारत पर कई मोर्चों पर असर पड़ सकता है. जिसमें आर्थिक, व्यापारिक और जिओ-पॉलिटिक्स शामिल हैं. भारत के लिए अवसर भी हैं और चुनौतियां भी. चुनौतियां ये कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए भारत को अपनी पूरी जान लगानी होगी. क्योंकि इस डील से पहले कई अमेरिकी कंपनी चीन को छोड़ भारत में आ रहीं थी. ट्रेड वॉर चीन के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा था. लेकिन अब कहीं ना कहीं इस डील से चीन के बाजार को थोड़ी राहत तो मिलेगी, मगर भारत को निवेश आकर्षित करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी.

वार्ता का मार्केट ने किया स्वागत

वहीं अगर अवसर की बात करें तो अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार्ता से ग्लोबल मार्केट में पॉजिटिव माहौल बन रहा है. जिसका असर भारत के मार्केट पर देखने को मिलेगा. मार्केट की बात करें तो निफ्टी 900 अंक से ज्यादा चढ़कर बंद हुआ. ये दर्शाता है कि भारत-पाकिस्तान के बीच घटते तनाव और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार्ता का मार्केट ने स्वागत किया है.

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर

ये दो मुद्दे इस समय वेश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. अब बात करते हैं भारत और पाकिस्तान के सीजफायर की... आखिर इन 3 दिन में ऐसा क्या हुआ? राष्ट्रपति ट्रंप की एंट्री अचानक कैसे हुई, जबकि अमेरिका पहले बोल चुका था कि इस मामले से हम दूर रहेंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सोशल मीडिया एक्स पर एक ट्विट करते हैं, जिसकी चर्चा अभी तक हो रही है. दरअसल ट्रंप की तरफ से कहा गया कि,

'अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूरे और तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है. '

इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि

'पिछले 48 घंटों में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और मैंने पीएम मोदी, पीएम शहबाज शरीफ, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर, पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार असीम मलिक के साथ बातचीत की है. जिसमें दोनों देश सीजफायर के साथ कई अहम मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हो गए हैं.'

हालांकि भारत ने सीजफायर को लेकर हुई सहमति पर तो हां कहा, पर अमेरिका का नाम तक नहीं लिया. भारत की तरफ से कहा गया कि

'सीजफायर पर सहमति पूरी तरह से दोनों देशों की है. पाकिस्तान के डीजीएमओ ने इस बात की शुरुआत की. और फिर इसके बाद भारत और पाकिस्तान मिलकर सीजफायर के मसले पर सहमत हुए.'

इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से एक और ट्विट किया गया. जिसमें जानकारी दी गई कि

'मैं भारत और पाकिस्तान के मजबूत नेतृत्व पर बहुत गर्व महसूस करता हूं. उन्होंने सही समय पर समझदारी और हिम्मत दिखाते हुए इस संघर्ष को रोकने का फैसला लिया, इस लड़ाई से लाखों मासूम लोगों की जान जा सकती थी और भारी-भरकम दोनों देशों को नुकसान भी हो सकता था.'

एक बात यहां ये गौर करने वाली है कि ट्रंप ने अपनी इस पोस्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ाने पर भी जोर दिया. इतना ही नहीं अमेरिका की तरफ से ये भी कहा गया कि हम दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर के मुद्दे का भी समाधान करेंगे. आपको बताते चलें कि इससे पहले अमेरिका की तरफ से बयान आया था कि भारत और पाकिस्तान के मामले के बीच हम नहीं आएंगे. तो फिर 3 दिन में ऐसा क्या हुआ कि अमेरिका को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करानी पड़ी?

दक्षिण एशिया की लड़ाई

दरअसल अमेरिका के ये कदम उठाने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. पहली वजह ये कि इस वॉर से अमेरिका दक्षिण एशिया में कहीं ना कहीं पिछड़ जाता, और चीन के खिलाफ कमजोर हो जाता. इससे होता ये कि चीन की लगातार बन रही पकड़ और तेज हो जाती.

भारत और पाकिस्तान दोनों बड़े बाजार

दूसरी बड़ी वजह है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश अमेरिका के लिए बड़े बाजार हैं. इसलिए ट्रंप नहीं चाहेंगे कि आने वाले समय में कोई भी देश उनकी पहुंच से बाहर हो.

अमेरिका उलझा ट्रेड वॉर में

तीसरी वजह है कि अमेरिका रूस-यूक्रेन, ईरान, गाजा, चीन के साथ ट्रेड वॉर में उलझा हुआ है, ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप नहीं चाहेंगे कि उनके दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही भारत और पाकिस्तान जैसे दो देश आपस में भिड़ जाएं.

सीजफायर और ट्रेड वार्ता का स्वागत मार्केट ने किया है. वैश्विक स्तर पर पॉजिटिव माहौल बन रहा है. हालांकि भारत को चीन के बाजार को टक्कर देने के लिए अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लगातार मजबूत करते रहना होगा.

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