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Monetary Policy: क्या RBI इस बार ब्याज दरों में कटौती करेगा; एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं?

जानकारों ने कहा कि रिटेल महंगाई अभी भी चिंता है और मिडिल ईस्ट में संकट और बिगड़ने की आशंका है, जिससे कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों पर असर पड़ेगा.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:40 AM IST, 07 Oct 2024NDTV Profit हिंदी
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मिडिल ईस्ट जारी तनाव, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और मजबूत होते डॉलर के बीच आज से मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक शुरू हो रही है. 9 अक्टूबर को रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ब्याज दरों पर फैसला सुनाएंगे. लेकिन इस बार भी दरों में कटौती की गुंजाइश बनती नहीं दिख रही है.

जानकारों का कहना है कि रिटेल महंगाई (Inflation) अभी भी चिंता है और मिडिल ईस्ट में संकट और बिगड़ने की आशंका है, जिससे कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों पर असर पड़ेगा.

इस महीने की शुरुआत में सरकार ने पैनल का पुनर्गठन किया था. इसमें तीन नए बाहरी सदस्य शामिल किए गए थे. आज की बैठक ये पहली बार 3 नए एक्सटर्नल मेंबर्स के साथ शुरू होगी.

फरवरी 2023 से बदलाव नहीं

RBI ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा है. जानकारों का मानना है कि सिर्फ दिसंबर में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. सरकार ने केंद्रीय बैंक को रिटेल महंगाई 4% पर सुनिश्चित करने का काम दिया है. इसमें 2% का मार्जिन है.

मौजूदा माहौल में एक्सपर्ट्स का मानना है कि RBI अमेरिकी फेडरल रिजर्व को फॉलो नहीं करेगा, जिसने बेंचमार्क रेट में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

बैंक ऑफ बड़ौदा में चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि 'हम रेपो रेट में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. इसके पीछे वजह है कि सितंबर और अक्टूबर के लिए महंगाई 5% से ज्यादा रहेगी. मौजूदा समय में कम महंगाई बेस इफेक्ट की वजह से है. इसके अलावा कोर महंगाई आगे बढ़ रही है. हाल ही में इजरायल-ईरान का विवाद बढ़ सकता है और अनिश्चित्ता है. इसलिए यथास्थिति ही विकल्प है.'

उन्होंने कहा कि महंगाई के अनुमान में 10-20 बेसिस पॉइंट्स की कटौती हो सकती है और GDP अनुमान में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है.

दिसंबर में कटौती की उम्मीद: अदिति नायर

इकरा में चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि हमारा भरोसा है कि न्यूट्रल में रवैये को बदलना अक्टूबर 2024 में उपयुक्त हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती हो सकती है.

नायर ने आगे कहा कि ग्लोबल राजनीतिक घटनाओं और भू-राजनीतिक अनिश्चित्ता का ग्रोथ और महंगाई पर असर जोखिम बना हुआ है.

HSBC की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 'तीन चीजें ध्यान देने वाली हैं. ग्रोथ के आंकड़े सुस्त हुए हैं, महंगाई घट रही है और बाहरी माहौल दरों में बढ़ोतरी से कटौती का हो गया है. हमारा मानना है कि RBI को और लंबा इंतजार करने से फायदा नहीं होगा. उसे आने वाली 9 अक्टूबर की पॉलिसी बैठक में रवैये को न्यूट्रल में बदल देना चाहिए.'

रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद दिसंबर और फरवरी की बैठकों में रेपो रेट में 25-25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की जानी चाहिए.

ब्याज दरों को बरकरार रखा जा सकता है: प्रदीप अग्रवाल

सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि 'जहां रियल एस्टेट इंडस्ट्री, डेवलपर और घर खरीदारों को आने वाले मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है. वहीं RBI लगातार 10वीं बार ब्याज दरों को बरकरार रख सकता है. शीर्ष बैंक अभी भी रिटेल महंगाई के माहौल को लेकर ठीक नहीं है. इसलिए वो यथास्थिति को बरकरार रख सकता है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से भारत में भी समान उम्मीदें जागीं हैं. लेकिन घरेलू माहौल बहुत अलग है.'

SBM बैंक के इंडिया हेड ट्रेजरी मंदार पिताले का मानना है कि खराब बेस इफेक्ट से CPI 5% के करीब रह सकती है. इससे MPC के लिए अक्टूबर की बैठक से नीति को आसान बनाना बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने आगे कहा कि MPC वैश्विक फैक्टर्स जैसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ-महंगाई के माहौल को लेकर भी चर्चा कर सकता है.

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