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मॉर्गन स्टैनली ने Q3 में भारत के ग्रोथ आउटलुक को बताया अच्छा, बताया किन फैक्टर्स से पड़ेगा असर

ब्रोकरेज कंपनी को उम्मीद है कि सरकारी खर्च में बढ़ोतरी, शादियों का सीजन बढ़ने और गर्मियों में अच्छी फसल से करीबी अवधि में ग्रोथ को समर्थन मिलेगा.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी02:56 PM IST, 27 Dec 2024NDTV Profit हिंदी
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मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) ने कहा कि तीसरी तिमाही यानी मौजूदा तिमाही के लिए भारत का ग्रोथ (Indian Growth) आउटलुक अच्छा है. वो आने वाले महीनों में मजबूत ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं. मॉर्गन स्टैनली में स्ट्रैटजिस्ट्स ने 26 दिसंबर को एक नोट में कहा कि कैपिटल मार्केट (Capital Market) में बढ़ी गतिविधियों और वैश्विक स्तर पर घटनाएं फैसला करेंगी कि शेयर की कीमतें कहां तक जाती हैं.

ब्रोकरेज कंपनी को उम्मीद है कि सरकारी खर्च में बढ़ोतरी, शादियों का सीजन बढ़ने और गर्मियों में अच्छी फसल से करीबी अवधि में ग्रोथ को समर्थन मिलेगा.

सितंबर तिमाही में आई गिरावट अस्थायी: मॉर्गन स्टैनली

मॉर्गन स्टैनली को उम्मीद है कि मार्च तिमाही में बिकवाली हैरान करेगी. इसके पीछे वजह हाल के हफ्तों में अर्निंग्स अनुमान में बड़ी कटौती है. हमारे अनुमान आम सहमति से ज्यादा हैं.

मोदी सरकार में शीर्ष अधिकारियों इस बात को लेकर सहमत हैं कि सुस्ती केवल अस्थायी थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सितंबर तिमाही के दौरान उम्मीद से कम GDP ग्रोथ को अस्थायी गिरावट बताया.

भारत सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने भी संकेत दिया कि आने वाले दिनों में Q2 GDP ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने Q2 आंकड़ों की गलत व्याख्या करने को लेकर सतर्क किया. उन्होंने कहा कि अवधि के दौरान वैश्विक अनिश्चित्ता से जुड़ा इंडेक्स बढ़ा है.

ग्लोबल इक्विटी मार्केट का भी होगा असर: मॉर्गन स्टैनली

मॉर्गन स्टैनली ने कहा कि भारत के बड़े शेयर बाजार को ग्लोबल इक्विटी मार्केट से पूरी तरह अलग नहीं किया जा सकता है. लेकिन रिटर्न और ग्लोबल इक्विटी के बीच संबंध में भी गिरावट जारी है. ब्रोकरेज ने कहा कि सुस्त वैश्विक बाजार से रिटर्न पर सीमा लग सकती है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल बुल मार्केट के साथ भारत जैसे लो बीटा मार्केट जैसे भारत की अंडरपरफॉर्मेंस देखने को मिल सकती है.

ब्रोकरेज ने कहा कि वैश्विक ग्रोथ में सुस्ती के साथ चीनी एक्सपोर्ट प्राइसिंग में डिफ्लेशन से भारत को नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि इससे ग्लोबल बाजारों में चीनी माल की डंपिंग होगी और भारत की ग्लोबल ट्रेड को बढ़ाने की क्षमता और कोशिशों को नुकसान होगा. उसने कहा कि जहां भारत पर इससे पहले कम असर पड़ा था, तेल की कीमतें बढ़कर $110 को पार करने से मैक्रो आंकड़ों के लिए रूकावटें आ सकती हैं.

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