पहले मैन्युफैक्चरिंग PMI और अब सर्विसेज PMI, देश की आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर चीजें कुछ ठीक नहीं चल रही हैं. सितंबर में HSBC इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स 60.9 से गिरकर 57.7 पर आ गया है. इसके अलावा कंपोजिट आउटपुट PMI 58.3 पर आ गया है जो कि अगस्त में 60.7 था.
अगस्त में सर्विसेज PMI ने 5 महीने की ऊंचाई को छुआ था. अगस्त के मुकाबले सर्विस सेक्टर की गतिविधियां थोड़ी धीमी जरूर हुईं हैं और 10 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं, लेकिन इन आकड़ों को अब भी मजबूत कहा जा सकता है, क्योंकि साल 2024 में सर्विसेज PMI पहली बार 60 से नीचे आई है, लेकिन 57.7 भी लॉन्ग टर्म एवरेज के काफी ऊपर है. तीन वर्षों से भी ज्यादा वक्त से इंडेक्स 50 के मार्क से ऊपर बना हुआ है. 50 के ऊपर होने के मतलब है विस्तार और इसके नीचे होने के मतलब है सिकुड़न.
गलाकाट कंपटीशन, लागत का दबाव और कंज्यूमर की प्राथमिकताओं में बदलाव की वजह से सितंबर में सर्विसेज PMI में गिरावट देखने को मिली है. कंज्यूमर अब ऑनलाइन सर्विसेज की ओर मुड़ रहा है, जिससे ग्रोथ पर लगाम लगी है.
इसी तरह दूसरी तिमाही के अंत में नए बिजनेसेज में विस्तार तो जरूर हुआ, लेकिन इसकी गति 10 महीने में सबसे कम रही. सर्वे पार्टिसिपेंट्स, जिन्होंने बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए इसकी वजह स्वस्थ डिमांड को बताया, और जिन्होंने चुनौतियां महसूस की, उन्होंने नई एंट्री और तेजी से बढ़ते कंपटीशन को इसकी वजह बताया.
सर्वे में कहा गया है कि कुल सेल्स ग्रोथ में रुकावट आई, इसका एक फैक्टर नए एक्सपोर्ट ऑर्डर्स में धीमी ग्रोथ भी रही है. 2024 में विस्तार की दर अब तक सबसे कमजोर हो गई.मोटे तौर पर इस उम्मीद में कि आने वाले वर्ष में डिमांड की स्थिति बेहतर रहेगी, बिजनेसेज आउटलुक को लेकर ज्यादा आश्वस्त थे. इसके अलावा, अगस्त से पॉजिटिव सेंटीमेंट्स का स्तर बढ़ा.
आने वाले वर्ष के लिए बिजनेस आउटलुक में सुधार हुआ, जिसने कंपनियों को कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. अगस्त से नियुक्तियों में थोड़ी तेजी आई, जिससे रोजगार बनने का सिलसिला दो साल में सबसे ज्यादा हो गया.
इसके पहले मैन्युफैक्चरिंग PMI सितंबर में 57.5 से गिरकर 56.5 पर आ गई थी. मैन्युफैक्चरिंग PMI में ये गिरावट जनवरी के बाद सबसे कमजोर रही है. दूसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ (Manufacturing Growth) लगातार गिरी है.