लगातार 11 बार ब्याज दरों को पॉज रखने के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है. भारतीय सेंट्रल बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली ही पॉलिसी में ब्याज दरों में राहत का बड़ा ऐलान कर दिया. रेपो रेट में ये कटौती तकरीबन पांच साल के बाद देखने को मिली है, इस कटौती के बाद अब रेपो रेट 6.25% हो गया है.
RBI ने मई 2020 में आखिरी बार रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी और इसे 4% कर दिया था, ताकि अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी के प्रकोप और उसके बाद के लॉकडाउन के बाद संकट से निपटने में मदद मिल सके. हालांकि, मई 2022 में, रिजर्व बैंक ने रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया, जो कि मई 2023 में जाकर रुका. इस दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की और इसे 6.5% तक पहुंचा दिया.
ये रेट कट ऐसे मौके पर आया है जब बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर टैक्स जीरो कर दिया है, ताकि इकोनॉमी में खपत को बढ़ाया जा सके और आम टैक्सपेयर्स को राहत मिल सके. इसके बाद रिजर्व बैंक का रेपो रेट में कटौती का फैसला होम लोन और कार लोन लेने वालों के कंधे से EMI का बोझ कुछ कम जरूर करेगा. यानी बीते हफ्ते भर में मिडिल क्लास के लिए राहत पहुंचाने वाले ये दो बड़े फैसले हुए है.
बजट में जहां वित्त मंत्री का फोकस ग्रोथ में खपत का ईंधन डालकर रफ्तार बढ़ाने पर रहा, रिजर्व बैंक का ये कदम भी उसी दिशा में दिख रहा है.
रिजर्व बैंक ने अपनी स्पीच में कहा कि ब्याज दर-टारगेटेड फ्रेमवर्क ने भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी मदद की है, जिसमें महामारी भी शामिल है, कुछ उदाहरणों को छोड़कर, रिटेल महंगाई दर ज्यादातर लक्ष्य से जुड़ी रही है, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक और MPC व्यापक आर्थिक परिणामों में सुधार जारी रखेंगे. भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली बनी हुई है, लेकिन दुनिया की प्रतिकूल परिस्थितियों से अछूती नहीं है.
MPC ने सर्वसम्मति से 'न्यूट्रल' रुख को जारी रखने का भी फैसला किया है. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि MPC का ध्यान महंगाई को लक्ष्य तक लाने पर केंद्रित रहेगा. उन्होंने कहा कि ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट्स में बहुत ज्यादा अस्थिरता है, वैश्विक व्यापार नीतियों में निरंतर अनिश्चितताएं है जो कि ग्रोथ और महंगाई के नजरिये के लिए जोखिम पैदा करती हैं.
पहले एडवांस अनुमानों के मुताबिक रियल GDP ग्रोथ 6.4% रह सकती है. कृषि गतिविधियां बेहतर बनी हुई हैं. मॉनसून संबंधी परेशानियों से अब माइनिंग और और बिजली में सुधार हो रहा है. सर्विसेज सेक्टर में गतिविधियां लचीली बनी हुई हैं. ग्रामीण इलाकों में मांग लगातार बढ़ रही है लेकिन शहरी मांग में सुस्ती अब भी जारी है. रोजगार की स्थिति में सुधार हो रहा है. बजट में टैक्स में राहत, स्वास्थ्य, कृषि गतिविधि के साथ घरेलू खपत के लिए अच्छा संकेत है.
रिजर्व बैंक ने FY26 में रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.7% रहने की उम्मीद जताई है. पहली तिमाही में GDP ग्रोथ 6.7% रहने का अनुमान है, इसके बाद दूसरी तिमाही में ये 7% रह सकती है, जो कि रिजर्व बैंक के पहले अनुमानों से कम है. रिजर्व बैंक ने पिछली पॉलिसी में पहली और दूसरी तिमाही के लिए अनुमान 6.9% और 7.3% दिया था. तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान और चौथी तिमाही में भी ये 6.5% पर बनी रहेगी.
रिजर्व बैंक गवर्नर ने महंगाई को लेकर कहा कि कोर महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, लेकिन ये हल्की ही रहेगी. वैश्विक अनिश्चितताएं, ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव महंगाई को बढ़ाने का जोखिम पैदा कर सकते हैं.
रिजर्व बैंक ने FY25 में रिटेल महंगाई दर 4.8% पर देखने को मिल सकती है, चौथी तिमाही में ये 4.4% पर रहने का अनुमान है. रिजर्व बैंक सामान्य मॉनसून को मानते हुए FY26 के लिए CPI महंगाई दर का अनुमान 4.2% रखा है. रिजर्व बैंक ने कहा कि हम उम्मीद लेकर चल रहे हैं कि खाद्य महंगाई दर में हमें नरमी देखने को मिलेगी, सप्लाई के मोर्चे पर चीजें बेहतर होंगी.
रिजर्व बैंक ने FY26 की पहली तिमाही के लिए CPI महंगाई दर का अनुमान पिछली बार के 4.6% से थोड़ा कम करके 4.5% पर कर दिया है, हालांकि दूसरी तिमाही के अनुमान को 4% पर बरकरार रखा, तीसरी तिमाही में रिटेल महंगाई का अनुमान 3.8% पर है और चौथी तिमाही में ये 4.2% पर रहने का अनुमान जताया है.