ADVERTISEMENT

RBI बुलेटिन: राज्यों की रेवड़ियों से सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए संसाधन कम होंगे; दूसरी छमाही में GDP ग्रोथ में सुधार की उम्मीद

RBI Bulletin: भारतीय रिजर्व बैंक के दिसंबर बुलेटिन में कहा गया है कि मौजूदा कारोबारी साल में बजट में घोषित रियायतों, फ्री गिफ्ट से सामाजिक और इंफ्रा के विकास के लिए संसाधन कम पड़ सकते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:49 PM IST, 24 Dec 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

RBI को चुनावी रेवड़ियों से चिंता होने लगी है. अपने दिसंबर बुलेटिन में सेंट्रल बैंकर ने माना कि मौजूदा कारोबारी साल में बजट में घोषित रियायतों, फ्री गिफ्ट से सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए संसाधन कम पड़ सकते हैं.

RBI के स्टाफ पेपर में कहा गया है कि इन रियायतों में कृषि और घरों के लिए मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ते और महिलाओं को वित्तीय सहायता शामिल है.

अधिक प्रोडक्टिव उपायों पर खर्च की सलाह

RBI ने राज्यों को सलाह दी है कि केंद्र की योजनाओं को राज्यों के हिसाब से तर्कसंगत बनाने से अधिक प्रोडक्टिव उपायों पर खर्च करने की गुंजाइश बन सकती है. राज्य की वित्त व्यवस्था पर इस रिपोर्ट में कहा गया है, 'स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, रिसर्च और डेवलपमेंट और ग्रामीण इंफ्रा में निवेश बढ़ाने के लिए संसाधनों को मुक्त करने के लिए तरह-तरह की सब्सिडी पर खर्च की तत्काल समीक्षा जरूरी है.'

राज्यों का फिस्कल डेफिसिट बढ़ा

चालू कारोबारी साल के लिए, राज्यों ने एक साल पहले के 2.9% के मुकाबले 3.2% फिस्कल डेफिसिट का बजट रखा था. यही नहीं इस साल राज्यों ने पिछले वर्ष की तुलना में पहली छमाही में अपने बजटीय फिस्कल डेफिसिट के आधे से कुछ कम हिस्से का इस्तेमाल कर लिया है. इसके चलते चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में राज्यों के लिए उपलब्ध फिस्कल डेफिसिट उनके बजटीय घाटे का 56.1% बचा है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के लिए 55.6% से अधिक है

केंद्र का घाटा काबू में

इसके उलट केंद्र सरकार ने पहली छमाही में अपने बजटीय राजस्व का आधे से अधिक हासिल कर लिया है, जबकि अपने खर्च को नियंत्रित किया है. कारोबारी साल 2024-25 के लिए GDP के 4.9% के फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को पाने की उम्मीद है.

इस पेपर के अनुसार, 'केंद्र ने डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दोनों तरह से ज्यादा टैक्स इकट्ठा किया है और ये उछाल आगे भी जारी रहने की उम्मीद है' RBI के बड़े डिविडेंड से भी केंद्र सरकार को नॉन-टैक्स रेवेन्यू मिला है.

दूसरी छमाही में ग्रोथ में सुधार होगा

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश की ग्रोथ पर भी दिसंबर बुलेटिन में टिप्पणी की है. RBI के अनुसार, प्राइवेट कंजम्पशन की मांग, रिकॉर्ड स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन और ग्रामीण मांग में तेजी आने से चालू कारोबारी साल की दूसरी छमाही में देश की ग्रोथ को रफ्तार मिलने की उम्मीद है. यही नहीं बुनियादी ढांचे पर निरंतर सरकारी खर्च से आर्थिक गतिविधि और निवेश को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.हालांकि ग्लोबल घटनाएं विकास और महंगाई के मोर्चे पर कुछ जोखिम पैदा कर सकती हैं.

RBI का ये अनुमान तब आया है जब जुलाई-सितंबर में भारत की GDP ग्रोथ गिरकर 5.4% पर आ गई है, जो 7% वार्षिक लक्ष्य से काफी कम है. ऐसा तब है जब एक साल पहले इसी अवधि में 8.1% दर्ज की गई थी.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT