RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने सरकारी बैंकों के साथ-साथ कुछ प्राइवेट सेक्टर बैंकों के CEOs से मुलाकात की.
इस मुलाकात में क्रेडिट-डिपॉजिट ग्रोथ गैप, लिक्विडिटी रिस्क मैनेजमेंट, साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल फ्रॉड, MSMEs को क्रेडिट फ्लो जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. इस संबंध में RBI की तरफ से एक रिलीज जारी कर जानकारी दी गई है.
इसके अलावा क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शंस में भारतीय रुपये के इस्तेमाल को बढ़ाने, बैंको की जवाबदेही बढ़ाने और RBI द्वारा शुरू किए जाने वाले इनोवेशन इनीशिएटिव्स में बैंकों की भागीदारी बढ़ाने पर भी चर्चा की गई.
ये बैठक RBI की अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले संस्थानों के सीनियर मैनेजमेंट के साथ लगातार संवाद के कार्यक्रम का हिस्सा रहीं. ऐसी पिछली बैठक 14 फरवरी को हुई थी.
शक्तिकांता दास के अलावा RBI के डिप्टी गवर्नर्स एम राजेश्वर राव, स्वामीनाथन जे और RBI के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे.
अपने भाषण की शुरुआत में शक्तिकांता दास ने बैंकों की एसेट क्वालिटी में सतत सुधार, लोन प्रॉविजनिंग, कैपिटल एडिकेसी और मुनाफे जैसे मुद्दों पर बात की.
उन्होंने माना कि बैंकिंग सेक्टर में मजबूती आई है, जबकि इसके साथ-साथ गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स, जोखिम प्रबंधन की कार्यप्रणाली और नियमों के पालन करने की संस्कृति भी मजबूत हुई है.
उन्होंने साइबर सिक्योरिटी कंट्रोल्स और थर्ड पार्टी जोखिम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की जरूरत पर भी जोर दिया.
इसके अलावा गवर्नर ने बैंकों से डिजिटल फ्रॉड को कम करने के लिए ग्राहकों में जागरुकता बढ़ाने और शैक्षणिक कार्यक्रम चलाने के साथ-साथ दूसरे कदम उठाने की अपील की.