दो दिनों की बैठक के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास मॉनिटरी पॉलिसी के फैसलों का ऐलान करेंगे. ये नए वित्त वर्ष की पहली पॉलिसी होगी, दूसरी खास बात ये है कि ये लोकसभा चुनावों के पहले की भी पॉलिसी है.
देखा जाए तो, बीते 6 बार से रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, रेपो रेट 6.5% पर टिका हुआ है, लेकिन रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास कोई सरप्राइज भी दे सकते हैं, इस बात इनकार नहीं किया जा सकता, अगर ऐसा हुआ तो लोगों की EMI का बोझ थोड़ा कम जरूर हो सकता है, लेकिन इसकी संभावना कितनी है, जरा समझ लेते हैं.
नए वित्त वर्ष की शुरुआत में उम्मीदें भी नई हैं. 3 अप्रैल से RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (Monetary Policy) की बैठक शुरू हुई, दो दिनों के बाद आज पॉलिसी का ऐलान होगा. पिछली बार फरवरी से लेकर अबतक महंगाई के मोर्चे पर और आर्थिक मोर्चे पर आंकड़े काफी मजबूत और स्थिर हैं. ब्लूमबर्ग के पोल के मुताबिक सभी अर्थशास्त्रियों को लगातार सातवीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आ रही है.
Barclays में चीफ इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया ने कहा कि कार्रवाई करने में कोई जल्दबाजी नहीं है. हमें अप्रैल में दरों को होल्ड पर रखने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि RBI ज्यादा ग्रोथ, गिरती महंगाई, मैनेजेबल क्रेडिट साइकिल और कम करंट अकाउंट डेफिसिट के बीच RBI पॉलिसी पर फैसला लेगी.
इन चीजों से दरों में कटौती करने का मौका मिलता है. उनके मुताबिक अब दरे घटाने की कोई जल्दी नहीं है. इसलिए दरों को होल्ड पर रखने की उम्मीद है.
बजोरिया ने कहा कि लिक्विडिटी की स्थिति पिछले कुछ हफ्तों में बेहतर हुई है. पेमेंट सरप्लस के मौजूदा बैलेंस और चुनाव से पहले खर्च से लिक्विडिटी की स्थिति के काबू में रहने की उम्मीद है.
भारत की रिटेल महंगाई में फरवरी में एक महीने पहले की अवधि के मुकाबले कोई बदलाव नहीं हुआ है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फरवरी में 5.09% पर मौजूद है. ये जनवरी में 5.1% रहा था. जहां खाने की चीजों की महंगाई फरवरी में घटकर 8.7% पर आ गई है. वहीं कोर महंगाई जिनमें खाने और ईंधन की चीजों की महंगाई शामिल है, वो घटकर 3.4% पर पहुंच गई है. ये 2018 के बाद सबसे कम है.
फरवरी में जारी किए गए लेटेस्ट आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के दौरान GDP ग्रोथ 8.4% रही. ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (GVA) के 6.5% की दर पर ग्रोथ करने की उम्मीद है. DBS बैंक में अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि आधिकारिक अनुमान को बढ़ाया जा सकता है.
FY25 के पिछले छह महीनों में सरकार की ओर से कुल कर्ज उम्मीद से कम है. ये करीबी अवधि में बॉन्ड्स को समर्थन देगा. एमके में मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि करीबी अवधि में जहां भारत में बॉन्ड्स में सुधार हुआ है.