महंगाई को कम करने के लिए और इकोनॉमिक एक्टिविटी को बरकरार रखने के लिए RBI की आने वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (Monetary Policy Committee) में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने का अनुमान है.
ब्लूमबर्ग (Bloomberg) के पोल में सभी इकोनॉमिस्ट्स ने ब्याज दरें 6.5% पर रहने का अनुमान जताया है. 7 जून को ब्याज दरों पर RBI गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ऐलान करेंगे.
अप्रैल की RBI पॉलिसी में महंगाई कम होने, इकोनॉमिक एक्टिविटी के बढ़ने, मॉनसून की चाल, तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें और वैश्विक भूराजनीति का आंकलन किया जाएगा.
बारक्लेज (Barclays) के रिसर्च नोट के मुताबिक, 'दिसंबर 2024 में रिजर्व बैंक को मजबूत ग्रोथ नजर आएगी और उसका फोकस केवल महंगाई बचेगा. इस दौरान ही ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव किए जाने का अनुमान है'. नोट में कहा गया कि क्रेडिट कंडीशन भी फिलहाल ओवरटाइटनिंग का कोई इशारा नहीं कर रही है.
मार्च में रिटेल महंगाई 4.85% रही, जो कि 10 महीने का निचला स्तर है. जनवरी और फरवरी में रिटेल महंगाई 5.1% पर रही थी. सितंबर से लेकर अब तक रिटेल महंगाई रिजर्व बैंक के टॉलरेंस लेवल 4% (+-2%) की रेंज में है.
एक बड़ी परेशानी है कि फूड और बेवरेज की महंगाई लगातार बढ़ रही है. मार्च में ये 7.68% पर रही और फरवरी में ये 7.8% पर दर्ज की गई थी.
RBI ने अप्रैल की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) में Q1 में रिटेल महंगाी 4.9% का अनुमान जताया है. वहीं, FY25 के लिए रिटेल महंगाई 4.5% पर रह सकती है.
इकोनॉमिक ग्रोथ भी अनुमान से ज्यादा रह सकती है. जनवरी-मार्च तिमाही में GDP ग्रोथ 7.8% रही, वहीं GVA, जिसमें इनडायरेक्ट टैक्स और सब्सिडी शामिल नहीं है, 6.3% की दर से बढ़ी.
साल भर के लिए GDP अनुमान 8.2% का जताया गया है.
ब्लूमबर्ग के एनालिस्ट पोल में चौथी तिमाही में GDP ग्रोथ 7% रहने का अनुमान जताया गया था.
नोमुरा के रिसर्च नोट के मुताबिक, भारत की इंटरबैंक लिक्विडिटी अपनी कसावट के चलते शेयर बाजार के लिए मुश्किल बढ़ाने वाली रही है. बायबैक और धीमे T-बिल कैलेंडर के जरिए सरकार ने इसे सुधारने की कोशिश भी की. बंपर RBI डिविडेंड से लिक्विडिटी भी फोकस में आई. ब्रोकरेज ने कहा, 'आने वाले कुछ हफ्ते में लिक्विडिटी के लिए पॉजिटिव आउटलुक देख सकते हैं, जिसमें फॉरेक्स इनफ्लो, कूपन पेमेंट और सरकार का सपोर्ट शामिल है'.
भारत की नई बेंचमार्क सिक्योरिटी मई महीने में काफी नरम हुई है और 7% के नीचे आई है. RBI से मिले बंपर सरप्लस, FPI इनफ्लो और S&P की ओर से आउटलुक अपग्रेड करना कुछ अहम फैक्टर रहे.
भारत की 10-ईयर बॉन्ड यील्ड जून में 6.95-7.05% की रेंज में रहने का अनुमान है. कमजोर US यील्ड और इंडेक्स इनक्लूजन के अलावा डेट सिक्योरिटीज में FPI का निवेश इसकी बड़ी वजहें हैं.