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भारी बारिश और बाधित सप्लाई ने काटी आपकी जेब; अक्टूबर में वेज थाली 20% (YoY) महंगी हुई: CRISIL

नॉन वेज थाली की कीमत में सालाना आधार पर 5% का ही इजाफा हुआ है. अक्टूबर में नॉन वेज थाली 61.6 रुपये की हो गई. जबकि 2023 में ये 58.6 रुपये की थी.
NDTV Profit हिंदीसुदीप्त शर्मा
NDTV Profit हिंदी06:11 PM IST, 07 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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सितंबर की भारी बारिश और सप्लाई बाधित होने का असर अक्टूबर की थाली पर भी हुआ. इस दौरान वेज और नॉन वेज थाली, दोनों की कीमत बढ़ी है. हालांकि ब्रॉयलर की कीमतों में आई गिरावट ने सब्जियों के बढ़े हुए भाव की मार से नॉन वेज थाली को बचा लिया. लेकिन वेज थाली पर इसका जोरदार असर हुआ.

CRISIL की RRR (Roti Rice Report) रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में वेज थाली की कीमत में सालाना आधार पर 20% का जबरदस्त इजाफा हुआ और ये 33.3 रुपये की हो गई. जबकि अक्टूबर 2023 में इसकी कीमत 27.7 रुपये थी.

दूसरी तरफ नॉन वेज थाली की कीमत में सालाना आधार पर 5% का ही इजाफा हुआ है. अक्टूबर में नॉन वेज थाली 61.6 रुपये की हो गई. जबकि 2023 में ये 58.6 रुपये की थी. अगर मंथली बेसिस पर देखें तो वेज थाली की कीमत में 6% और नॉन वेज थाली में 4% की वृद्धि हुई है.

सब्जियों में हुए इजाफे से बढ़ी वेज थाली की कीमत

वेज थाली में 40% हिस्सेदारी सब्जियों की होती है. अक्टूबर में प्याज की कीमतें जहां 46% (YoY) बढ़ीं. जबकि मंथली बेसिस पर इनमें 6% की बढ़ोतरी हुई. इसकी वजह सितंबर में हुई जबरदस्त बारिश रही, जिसके चलते सप्लाई कम हो गई. फिर बारिश के चलते महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी प्याज की फसल लेट हो गई.

आलू की कीमतों में 51% (YoY) की तेजी आई. दरअसल रबी के सीजन में आए आलू का कोल्ड स्टोरेज स्टॉक सीजन के खात्मे के चलते भी खत्म हो रहा था, जिसके कारण आलू के भाव बढ़ गए. दिसंबर-जनवरी में आलू की नई फसल आएगी.

इसी तरह अक्टूबर 2023 में टमाटर की कीमत करीब 29 रुपये/kg थीं, जो अक्टूबर 2024 में बढ़कर 64 रुपये/kg पहुंच गईं. इसकी वजह भी सितंबर में हुई भारी बारिश रही, जिसके चलते महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में फसल बर्बाद हो गई. लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से आने वाली फसल के चलते नवंबर में कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है. मंथली आधार पर भी टमाटर की कीमतों में 39% की ग्रोथ हुई है.

इसी तरह वेज थाली की कीमत में 9% हिस्सेदारी दालों की होती है, जिनकी कीमत भी बीते एक साल में 11% बढ़ी हैं. दूसरी तरफ ईंधन कीमत में 11% की गिरावट आई है, जिससे चलते कुछ राहत मिली है.

ब्रॉयलर की कीमतों में आई गिरावट

खाने के तेल में भी मंथली बेसिस पर 10% का इजाफा हुआ है, इसकी वजह इंपोर्ट ड्यूटी का बढ़ना और त्योहारी सीजन में मांग का ज्यादा रहना है.

नॉन वेज थाली की कीमत में सबसे ज्यादा 50% हिस्सेदारी ब्रॉयलर की होती है. जबकि सब्जियों की हिस्सेदारी 22% होती है. ब्रॉयलर की कीमत में सालाना आधार पर 9% की गिरावट आई है, जिससे सब्जियों के बढ़े हुए भाव का असर कम हो गया. इसके चलते नॉन वेज थाली की कीमतों में वेज थाली की तरह तेज उछाल नहीं आया और सालाना आधार पर इनमें 5%, जबकि मंथली बेसिस पर सिर्फ 4% की ग्रोथ हुई है.

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