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ट्रेनों में जोड़े जाएंगे 10 हजार जनरल और स्‍लीपर कोच, अब तक कितना काम हुआ और क्‍या है रेलवे की तैयारी?

अगले दो वर्षों में रेलवे के बेड़े में नॉन-AC जेनरल कैटगरी के 10 हजार से ज्यादा कोचों को शामिल कर लिया जाएगा.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी04:37 PM IST, 21 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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भारतीय रेल देश के लोगों के लिए लाइफलाइन से कम नहीं. हर दिन करोड़ों लोग ट्रेनों से सफर करते हैं. हालांकि लंबी दूरी की ट्रेनों में जनरल कोच में सफर करने वालों को होने वाली परेशानी भी किसी से छिपी नहीं है. जनरल बोगियों में पैसेंजर्स को ठसमठस और धक्‍कामुक्‍की से लेकर खिड़की और गेट पर लटककर सफर करने जैसी दिक्‍कतें झेलनी पड़ती है.

भारतीय रेलवे इन दिक्‍कतों को दूर करने में लगी है. रेलवे बोर्ड की मानें तो बीते 3 महीने में विभिन्न ट्रेनों में GS कैटगरी यानी सामान्य श्रेणी के करीब 600 नए अतिरिक्‍त कोच जोड़े गए हैं. ये सभी कोच नियमित ट्रेनों में जोड़े गए हैं.

  • इस नवंबर महीने के अंत तक करीब 370 नियमित ट्रेनों में ऐसे 1,000 जेनरल कोच जोड़ दिए जाने का लक्ष्‍य है.

  • रेलवे के बेड़े में इन नए जेनरल कोचों के जुड़ने से अनुमानित तौर पर रोजाना करीब एक लाख यात्री लाभान्वित होंगे.

  • अगले दो साल में बड़ी संख्या में नॉन-AC कोचों को रेलवे के बेड़े में शामिल करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है.

2 साल में जोड़े जाएंगे 10,000+ कोच

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सूचना-प्रचार) दिलीप कुमार ने बताया कि जेनरल कैटगरी के पैसेंजर्स रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं. उन्‍होंने कहा कि इन यात्रियों की सुविधाओं के लिए नए GS कोचों का निर्माण तेजी से चल रहा है.

उन्होंने कहा,

  • अगले दो वर्षों में रेलवे के बेड़े में ऐसे नॉन-AC जेनरल कैटगरी के 10 हजार से ज्यादा कोचों को शामिल कर लिया जाएगा, जिनमें 6 हजार से ज्‍यादा GS कोच होंगे, जबकि बाकी स्लीपर कोच होंगे.

  • इतनी बड़ी संख्या में नॉन-AC कोचों के शामिल होने से जेनरल कैटगरी के करीब 8 लाख अतिरिक्त यात्री रोजाना रेल में सफर का आनंद उठा पाएंगे.

उन्‍होंने बताया कि GS कैटगरी के ये तमाम कोच LHB होंगे, जो सफर को आरामदायक और सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ सुरक्षित भी बनाएंगे. बता दें कि पारंपरिक ICF रेल डिब्बों के मुकाबले ये नये LHB कोच अपेक्षाकृत हल्के और मजबूत होते हैं. हादसे की स्थिति में इन कोचों में नुकसान भी कम से कम होने की संभावना रहती है.

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