ये खबर उन सभी लोगों के लिए बड़े काम की है, जिन्हें बैंकों के रिकवरी एजेंट्स की प्रताड़ना झेलनी पड़ी है या झेल रहे हैं. खबर ये है कि अवैध तरीके से रिकवरी करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ICICI बैंक के चेयरमैन से जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट ने ICICI बैंक के चेयरमैन से व्यक्तिगत रूप से लोन रिकवरी करने के लिए एजेंट्स के इस्तेमाल पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि चेयरमैन रिकवरी एजेंट्स के इस्तेमाल पर व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल करें.
2007 के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डिफॉल्टर से लोन रिकवर करने के लिए एजेंट्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी.
ये केस 2002 से शुरू होता है, जिसमें अमेरिकी नागरिक और ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया के कार्ड होल्डर राहुल सिंह (Rahul Singh) ने ICICI बैंक से लोन लिया था.
2007 में राहुल सिंह भारत छोड़ना चाहते थे और छोड़ने से पहले ICICI बैंक को पूरा बकाया देना चाहते थे. उन्होंने अपना बकाया भरा, फाइनल क्लोजर रिसीट ली और गारंटी के तौर पर दी प्रॉपर्टी छुड़ाई, लेकिन बैंक के कुछ कारणों के चलते उनका CIBIL स्कोर आज भी उन्हें डिफॉल्टर की तरह दिखा रहा था.
सिंह भारत में नहीं थे. उनके परिवार ने बैंक अधिकारियों को बताया कि 2007 में उन्होंने पूरा लोन भर दिया था. ये जानने के बाद भी बैंक ने लोन रिकवरी के लिए सिंह पर सिविल मुकदमा दायर कर दिया.
बैंक अधिकारियों ने इस लोन के भुगतान के लिए रिकवरी एजेंट्स लगाए, जिन्होंने सिंह के पैतृक घर में जाकर समाज में उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की.
इसके चलते सिंह ने बैंक के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मानहानि और आपराधिक साजिश का मामला दाखिल किया. बैंक अधिकारियों के खिलाफ समन जारी किया गया, जिन पर रोक लगाने के लिए वो इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए.
इस बर्ताव से हैरान होकर कोर्ट ने बैंक चेयरमैन को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें कोर्ट के रिकवरी एजेंट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने के बावजूद रिकवरी एजेंट्स को जारी रखने पर जवाब मांगा गया है. अगर लोन की पूरी रकम चुका दी गई है, तो बैंक ने सूट क्यों फाइल किया है, इस पर भी कोर्ट ने चेयरमैन से जवाब मांगा है.
इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी.