ADVERTISEMENT

CBI ने हिंडाल्को पर दर्ज की FIR; खदान की पर्यावरण अनुमति लेने में घूसखोरी का आरोप

आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी पर हुई FIR में एजेंसी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में तत्कालीन डायरेक्टर T चांदिनी को भी आरोपी बनाया है. दरअसल वे तब एक्सपर्ट अप्रेजल कमिटी (EAC) में सचिव सदस्य थीं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:18 PM IST, 06 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

CBI ने देश की दिग्गज एल्युमिनियम प्रोड्यूसर हिंडाल्को पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया है. ये मुकदमा 2011 से 2013 के बीच किए गए कोयला खनन के लिए जरूरी पर्यावरण मंजूरियां लेने में भ्रष्ट तरीके अपनाने के आरोप में दर्ज किया गया है.

आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी पर हुई FIR में एजेंसी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में तत्कालीन डायरेक्टर T चांदिनी को भी आरोपी बनाया है. दरअसल वे तब एक्सपर्ट अप्रेजल कमिटी (EAC) में सचिव सदस्य थीं. आरोप है कि उन्होंने ओडिशा के झारसुगुड़ा इलाके में क्रिटिकली पॉल्युटेड एरिया में स्थित तालाबीरा खदान में कंपनी को खनन की अनुमति दिलवाने में मदद की. ये मंत्रालय के निर्देशों का उल्लंघन था.

CBI ने ये FIR करीब 8 साल चली प्राथमिक जांच के बाद दर्ज की है. इससे पहले 2016 में CBI ने प्राथमिक जांच के लिए रिपोर्ट दर्ज की थी. इसमें दर्ज आरोपों के मुताबिक 2011 से 2013 के बीच तालाबीरा में जरूरी पर्यावरणीय अनुमतियां लेने के लिए आदित्य बिरला मैनेजमेंट कॉरपोरेशन (ABMCPL) ने बड़ी मात्रा में घूस दी है.

जरूरत से ज्यादा खनन का भी आरोप

दरअसल 2006 में पर्यावरण मंत्रालय ने सभी नए प्रोजेक्ट्स या मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के प्रोडक्ट मिक्स में विस्तार या बदलाव के लिए पर्यावरण अनुमतियां लेने का नियम अनिवार्य कर दिया था.

जिन प्रोजेक्ट्स में पहले पर्यावरण अनुमतियां लेना जरूरी था, उन्हें EAC के जरिए पास होना था, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे. फिर EAC की सलाह पर रेगुलेटरी अथॉरिटी अनुमति देती थी.

हिंडाल्को को तालाबीरा-1 से पहली अनुमति 2001 में मिली थी, जो 0.4 MTPA की थी. फिर जनवरी 2009 में दूसरी अनुमति मिली, जो विस्तार के लिए थी, इसके तहत 0.4 MTPA से क्षमता बढ़ाकर 1.5 MTPA कर दी गई. इसके कुछ दिन बाद कंपनी ने 3 MTPA की अनुमति के लिए आवेदन किया था. हाल की FIR का पूरा मामला इसी अनुमति से जुड़ा है.

FIR में ये भी आरोप है कि कंपनी ने 2001 से 2009 के बीच जरूरत से ज्यादा उत्खनन किया. इनके मुताबिक कंपनी ने 2004-05 से 2008-09 के बीच 3.04 MTPA अतिरिक्त कोयला निकाला.

जांच के मुताबिक चांदनी को इस अतिरिक्त माइनिंग की पूरी जानकारी थी, जो पुरानी पर्यावरणीय मंजूरियों का उल्लंघन कर रही थी. इसके बावजूद हिंडाल्को द्वारा 3 MTPA खनन के प्रस्ताव को उन्होंने आगे बढ़वा दिया. ये उनके पद के अधिकारों का गलत इस्तेमाल था.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT