HDFC बैंक के एक कस्टमर ने बैंक पर फंड साइफनिंग के आरोप लगाए थे. अब इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने HDFC बैंक और RBI को तलब किया है. कोर्ट ने मामले में पुलिस की कार्रवाई में देरी और बैंक द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध ना किए जाने पर चिंता व्यक्त की और चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से बैंकिंग व्यवस्था में लोगों का यकीन कम हो सकता है.
मौजूदा मामले में बैंक की एक कस्टमर मीनाक्षी राहुल कपूरिया ने दावा किया कि उनकी रिलेशनशिप मैनेजर पायल हर्ष कोठारी ने HDFC बैंक की लोखंडवाला ब्रान्च में उनकी 3 करोड़ रुपये की FD को बिना उनकी सहमति के तोड़ दिया. आगे बताया गया कि इन पैसों के एक गढंत अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया और फिर वापस कोठारी के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया. इस पूरे ट्रांजैक्शन के दौरान कपूरिया को कोई अलर्ट नहीं भेजा गया.
सुनवाई के दौरान कपूरिया के वकील ने दावा कि कोठारी ने कपूरिया से वायदा किया कि उनके पैसे को म्यूचुअल फंड्स और गोल्ड बांड जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश किया जाएगा, इस तरह उन्होंने पहले कपूरिया का विश्वास जीता. लेकिन इसके बजाए कोठारी ने हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक का इस्तेमाल फंड्स को पर्सनल अकाउंट्स में ट्रांसफर करने के लिए किया. ये दावा भी किया गया कि पुलिस ने मामले में जांच में कोताही बरती है और ब्लैंक चेक समेत अन्य अहम सबूतों को इकट्ठा नहीं किया. कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने आरोपी के कुछ अकाउंट्स फ्रीज किए हैं. लेकिन इनमें बहुत कम पैसा है. ये आरोप भी लगाया गया कि पुलिस ने आरोपी का मोबाइल फोन जब्त नहीं किया, ना ही दूसरे बैंक अधिकारियों के बैंक के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में छेड़छाड़ की भूमिका की जांच भी नहीं की.
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने बैंक कस्टमर को HDFC बैंक और RBI को केस में रेस्पोंडेंट बनाने की अनुमति दी है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि दोनों संस्थानों को नोटिस भेजा जाए और कोर्ट के सामने 13 दिसंबर 2024 को पेश होने का आदेश दिया जाए.
अगली सुनवाई 13 दिसंबर 2024 को है, ये सुनवाई जस्टिस रेवती मोहिते देरे और पृथ्वीराज के चवन की बेंच के सामने होगी. कोर्ट ने पुलिस को आदेश देकर अपनी जांच पूरी करने और जरूरी एक्शन लेने का आदेश दिया है. इसके तहत पूरे मामले में शामिल बैंक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी है.