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मुश्किल में शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च, अमेरिकी कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर की शॉर्टसेलर्स पर सख्ती

SEC की ओर से जारी बयान के मुताबिक लेफ्ट और सिट्रॉन से अपने फॉलोअर्स को अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर कुछ शेयरों को खरीदने या बेचने की सलाह दी. हालांकि जब फॉलोअर्स ने शेयरों में ट्रेडिंग शुरू की तो सिट्रॉन ने अपनी पॉजिशन को बदल दिया और मुनाफा कमाया.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:13 PM IST, 27 Jul 2024NDTV Profit हिंदी
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हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) फिर से मुश्किल में है. अमेरिका में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंजेज कमीशन (SEC) ने शॉर्टसेलर्स पर सख्ती की है. शुक्रवार को अमेरिकी कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर ने शॉर्टसेलिंग फर्म सिट्रॉन कैपिटल (Citron Capital) और उसके हेड एंड्रयू लेफ्ट के खिलाफ गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए मुनाफे के लिए एक्शन लिया.

SEC की ओर से जारी बयान के मुताबिक लेफ्ट और सिट्रॉन से अपने फॉलोअर्स को अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर कुछ शेयरों को खरीदने या बेचने की सलाह दी. हालांकि जब फॉलोअर्स ने शेयरों में ट्रेडिंग शुरू की तो सिट्रॉन ने अपनी पॉजिशन को बदल दिया और मुनाफा कमाया.

क्या है पूरा मामला?

SEC ने अपने बयान में कहा कि बैट एंड स्विच तरीकों (Bait-and-Switch Tactics) से लेफ्ट और उनकी कंपनियों ने गैर-कानूनी तरीकों से 20 मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया और हम लेफ्ट और उनकी कंपनियों पर उनके एक्शन के लिए जिम्मेदारी तय करना चाहते हैं. SEC ने अमेरिका की जिला अदालत में शिकायत दर्ज की है.

इसमें लेफ्ट और सिट्रॉन कैपिटल पर फेडरल सिक्योरिटीज कानूनों के एंटी-फ्रॉड प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. अमेरिकी कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर और अन्य एजेंसियां भी शॉर्टसेलर्स के खिलाफ 2021 से जांच कर रही हैं. ये जांच गेमस्टॉप शेयरों में संदिग्ध ट्रेडिंग के बाद शुरू हुई है.

मई 2023 में आई जांच में तेजी

मई 2023 में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में डिमार्टमेंट ऑफ जस्टिस के एक अधिकारी के हवाले से दावा किया गया था कि शॉर्टसेलर्स के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. इसके बाद जांच में तेजी आई. लेफ्ट और सिट्रॉन के खिलाफ आरोप काफी हद तक वैसे ही हैं जो सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग पर लगाए हैं. दोनों मामलों में किए गए दावों के समान लगते हैं.

पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप के शेयरों पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. इसके बाद भारतीय बाजारों में बड़ी बिकवाली देखने को मिली थी. हालांकि कुछ महीनों बाद ही अदाणी ग्रुप के शेयर रिकवर कर गए थे.

SEBI के कारण बताओ नोटिस के मुताबिक शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने हेज फंड मैनेजर मार्क किंगडन और उनकी एंटिटीज के साथ सांठगांठ की. उनकी स्कीम में गैर-सार्वजनिक जानकारी की एडवांस नॉलेज का इस्तेमाल करके शॉर्ट पॉजिशंस बनाईं गईं.

रेगुलेटर ने आरोप लगाया कि किंगडन ने शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के साथ कानूनी समझौता किया. इसके तहत उसने विदेशी निवेशक के साथ ड्राफ्ट रिपोर्ट उसके आधिकारिक तौर पर जारी होने से पहले ही साझा कर दी. इस रिपोर्ट को 24 जनवरी 2023 को आधिकारिक तौर पर जारी किया जाना था.

SEBI की जांच क्या कहती है?

SEBI की जांच के तहत उसने अमेरिकी कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर के साथ जानकारी का एक्सचेंज किया था. SEBI ने अपने कारण बताओ नोटिस में SEC की ओर से शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च को जारी एक लिखित आदेश के बारे में बात की थी. ये आदेश अदाणी ग्रुप शेयरों में संदिग्ध ट्रेडिंग के मामले से जुड़ा था.

शुक्रवार को ब्लूमबर्ग टेलिविजन से बात करते हुए ब्लूमबर्ग न्यूज में सीनियर इक्विटीज रिपोर्टर Bailey Lipschultz ने कहा था कि न्यूज पोर्टल करीबी से देख रहा है कि क्या जांच में कोई अन्य बड़े नाम भी शामिल हैं, जिन पर समान मुकदमे होने वाले हैं.

SEBI के कारण बताओ नोटिस को दिए गए सार्वजनिक जवाब में शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया था कि उसने अदाणी शॉर्ट से जुड़े मामले में सिर्फ 4.1 मियिन डॉलर का रेवेन्यू कमाया है.

हिंडनबर्ग ने 1 जुलाई को अपने जवाब में कहा था कि लीगल और रिसर्च से जुड़े खर्चों को मिलाकर हम अदाणी शॉर्ट पर ब्रेकइवन (पर्याप्त पैसा कमा लेना, जिससे खर्चों को पूरा किया जा सके और कोई मुनाफा नहीं है) से ज्यादा पर आ सकते हैं.

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