मुंबई की एक विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत ने कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और रेगुलेटरी उल्लंघनों पर पूर्व SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच, 3 मौजूदा पूर्णकालिक सदस्यों और स्टॉक एक्सचेंज BSE के 2 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ये आदेश एक शिकायत के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें शेयर बाजार की कई अनियमितताओं से निपटने में खामियों का आरोप लगाया गया है.
एक मीडिया रिपोर्टर की शिकायत में BSE पर 1994 में एक कंपनी की फर्जी लिस्टिंग के संबंध में बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है. इसमें दावा किया गया है कि SEBI अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं और बाजार में हेरफेर की सुविधा दी. तय मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी को होने दिया.
शिकायतकर्ता ने कहा कि एजेंसियों और नियामक निकायों से कई अपील की गई, मगर इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. अदालत ने कहा कि आरोप एक कॉग्निजेबल अपराध की ओर इशारा कर रहा है, इसलिए जांच की आवश्यकता है. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि SEBI और अन्य दूसरी कानूनी एजेंसियों की निष्क्रियता के कारण न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
SEBI ने अपनी रिलीज में बताया कि ये मामला 1994 में BSE पर एक कंपनी लिस्टिंग से जुड़ा है. SEBI ने कहा है कि ये मामला जिस वक्त है, उस वक्त इनमें से कोई भी अधिकारी अपने संबंधित पदों पर नहीं था, फिर भी अदालत ने बिना कोई नोटिस जारी किए या SEBI को तथ्यों को रिकॉर्ड पर सामने रखने का कोई मौका दिए बिना जांच की इस अर्जी को मंजूरी दे दी है. रेगुलेटर ने ये भी बताया कि जिस व्यक्ति ने ये अर्जी लगाई है वो आदतन ऐसी अर्जियां लगाने के लिए जाना जाता है. उसकी पिछली कई अर्जियों को अदालत ने खारिज कर दिया है, कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया है.
ये आदेश SEBI प्रमुख के रूप में बुच का कार्यकाल खत्म होने के कुछ दिन बाद आया है. बुच को अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ महीनों में कई तरह आरोपों का सामना करना पड़ा है.