NEET UG एग्जाम में गड़बड़ी को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पूरी परीक्षा तभी कैंसिल की जाएगी, जब पूरे व्यापक स्तर पर पेपर लीक हुआ हो.
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं से कहा, 'पेपर लीक का असर व्यापक हुआ है, पहले ये साबित करें. आप हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ और परीक्षा रद्द होनी चाहिए. इस मामले में जांच की दिशा क्या होना चाहिए वो भी हमें बताएं. उसके बाद हम सॉलिसिटर जनरल को सुनेंगे.'
याचिकाकर्ता के वकील ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि NTA ने सभी लोगों का रिजल्ट घोषित नहीं किया है, जबकि दूसरी परीक्षाओं में पूरे रिजल्ट घोषित होते है.सरकारी कॉलेजों में सीटों के सवाल पर कहा कि 56 हजार सीटें हैं, कम से कम एक लाख का रिजल्ट घोषित हों.
इस पर CJI ने कहा, 'क्या आपके हिसाब से कुछ लोग 1 लाख 8 हजार की कैटगरी में आ गए है? आप पहले फैक्ट्स पर बात करें. 1 लाख 8 हजार में से कितने याचिकाकर्ता है और कितने छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि
131 ऐसे छात्र हैं जो री-एग्जाम चाहते हैं.
जबकि 254 ऐसे छात्र भी हैं जो ऐसा नहीं चाहते.
जो 131 छात्र हैं वो 1 लाख 8 हजार के अंदर नहीं आते हैं.
जो 254 छात्र हैं वो 1 लाख 8 हजार के अंदर आते हैं लेकिन दोबारा परीक्षा नहीं चाहते हैं.
सुनवाई से पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल कर कहा है कि ये कोई सिस्टमैटिक फेलियर नहीं था. बिहार में जिन घटनाओं का जिक्र किया जा रहा है, उनकी जांच चल रही है.'
एजेंसी का कहना है कि बिहार की घटना एक आपराधिक गतिविधि है. बिहार पुलिस (Bihar Police) ने जांच शुरू की थी, जिसे EOU विंग को सौंप दिया गया था. इसके बाद केंद्रीय स्तर पर नीट मामलों की जांच CBI को ट्रांसफर कर दी गई.
बता दें कि NTA ने इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद 17 संदिग्ध उम्मीदवारों के परिणाम रोक दिए हैं.
चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की पहली सुनवाई के दौरान NEET विवाद से जुड़े 4 स्टेक होल्डर्स - NTA, CBI, केंद्र सरकार और रीटेस्ट की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं से रिपोर्ट मांगी थी. पिछले बुधवार (10 जुलाई) तक सभी पक्षों ने रिपोर्ट सौंप दी थी.
केंद्र सरकार और NTA ने भी कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि री-एग्जाम नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार ने IIT मद्रास की हाई लेवल जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सबूत नहीं हैं, इसलिए री-एग्जाम नहीं करवाना चाहते. वहीं NTA ने अपने हलफनामे में भी दोबारा परीक्षा नहीं लिए जाने की बात कही है. इसका कहना है कि पेपर लीक का जो वीडियो टेलीग्राम पर वायरल हुआ था, वो फेक है.
NEET-UG परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं लगाई गई हैं. इनमें से 34 याचिकाएं स्टूडेंट्स, टीचर्स और कोचिंग संस्थानों ने लगाई है, जबकि बचाव में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने 4 याचिकाएं लगाई हैं. इनके अलावा कुछ और याचिकाएं लगाई गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था, 'पेपर लीक हुआ है, ये तो साफ है, लेकिन सवाल है कि इसका दायरा कितना बड़ा है.'
कोर्ट ने कहा था, 'कुछ छात्र की गड़बड़ी के चलते पूरी परीक्षा कैंसिल नहीं कर सकते. हालांकि दोषियों की पहचान नहीं हुई तो ऐसी नौबत आ सकती है.'
साथ ही ये भी कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए पेपर लीक हुआ है तो ये जंगल में आग की तरह फैलता है. क्या ये पता नहीं लगा सकते कि पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है या नहीं?'
मामले में कोर्ट ने सभी पक्षों से रिपोर्ट मांगी थी. केंद्र की ओर से दायर किए गए हलफनामे के साथ ही सभी पक्षों की ओर से रिपोर्ट पूरी हो गई है और अब 18 जुलाई को CJI की बेंच दूसरी सुनवाई करेगी. इस बेंच में CJI के अलावा जस्टिस JB पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.
NEET-UG परीक्षा में अमूमन कुछ छात्र ही टॉप करते हैं, लेकिन 2024 यानी इस बार की परीक्षा में कुल 67 छात्रों ने 720 नंबर हासिल किए थे. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था.
मेरिट लिस्ट में हरियाणा के एक केंद्र के 6 छात्र शामिल थे, इससे एग्जाम में गड़बड़ी का शक पैदा हुआ. फिर सामने आया कि ग्रेस मार्क के चलते 67 छात्रों को टॉप रैंक हासिल करने में मदद मिली. लेकिन कैलकुलेशन भी गड़बड़ पाया गया.
NEET-UG परीक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 13 जून को 1,563 छात्रों को मिले ग्रेस मार्क्स को रद्द कर दिया था. इन छात्रों को दो विकल्प दिए थे. पहला विकल्प ये था कि या तो ये छात्र बगैर किसी ग्रेस मार्क्स के NEET-UG की काउंसलिंग में शामिल हों. या फिर दोबारा से परीक्षा दें.
देशभर में अलग-अलग जगहों पर विरोध और प्रदर्शन हुए. मामले में एक के बाद एक कई याचिकाएं दाखिल की गईं. अलग-अलग राज्यों की पुलिस के अलावा CBI ने भी अपने स्तर से जांच शुरू की है. इस मामले में अब तक 7 राज्यों से 42 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं.