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पतंजलि भ्रामक प्रचार मामला: नियमों की अनदेखी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछे सवाल

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियम 170 के मुताबिक, आयुष (AYUSH) ड्रग्स का प्रोमोशन या एडवरटाइजमेंट करने के लिए लाइसेंस देने वाली अथॉरिटी की मंजूरी चाहिए होगी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:47 PM IST, 23 Apr 2024NDTV Profit हिंदी
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को पतंजलि (Patanjali) के भ्रामक प्रचार मामले पर केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे. कोर्ट ने केंद्र की ओर से ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट (Drugs & Cosmetics Act) में नियम 170 को होल्ड पर रखने पर सवाल किया.

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियम 170 के मुताबिक, आयुष (AYUSH) ड्रग्स का प्रोमोशन या एडवरटाइजमेंट करने के लिए लाइसेंस देने वाली अथॉरिटी की मंजूरी चाहिए होगी. बिना मंजूरी के आयुष ड्रग्स का प्रोमोशन या एडवरटाइजमेंट नहीं किया जा सकता है.

इस नियम का मनमाने तरीके से उल्लंघन करने पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या वो अपने रेवेन्यू पर ज्यादा ध्यान दे रही है या फिर पब्लिक के लिए क्या छप रहा है, उस पर?

बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohtagi) ने कहा कि उन्होंने 67 अखबारों में इस मामले के संबंध में माफीनामा छपवाया है.

जस्टिस अमानुल्लाह (Justice Amanullah) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) ने इस माफीनामे पर सवाल किया कि क्या ये माफीनामा उसी साइज का था, जो एडवरटाइजमेंट में इस्तेमाल किया गया था. कोर्ट ने पतंजलि को अगले 2 दिन में इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वो किसी एक कंपनी के लिए ये निर्देश जारी नहीं कर रही है बल्कि उन सभी FMCG कंपनियों के लिए ये निर्देश है, जो आम जनता के लिए भ्रामक प्रचार का इस्तेमाल करते हैं.

बेंच ने कहा कि ये सोचने वाली बात है कि FMCG कंपनियां भ्रामक प्रचार का इस्तेमाल करती हैं और आम जनता को हल्के में लेती हैं. ये कंपनियां नवजात शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और सीनियर सिटिजन पर टारगेट करती हैं.

बेंच ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting), कंज्यूमर मामलों के मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs), केंद्र और राज्यों की लाइसेंस जारी करने वाली संस्थाओं को भ्रामक प्रचार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा करनी चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association, IMA) को भी इस मामले में लाया जाना चाहिए क्योंकि उन पर भी अनैतिक प्रैक्टिस के आरोप लगे हैं. 30 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई होगी.

कोर्ट IMA के उस मुकदमे की सुनवाई कर रहा था जिसमें रामदेव की ओर से कोविड-19 की वैक्सीन और दूसरी मेडिकल प्रैक्टिस को एडवरटाइजिंग कैंपेन चलाने पर सवाल उठाए गए थे. नवंबर 2023 में इस पर सुनवाई शुरू हुई और सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि पर मॉडर्न दवाओं को नीचा दिखाने पर गंभीर चेतावनी दी.

पतंजलि के कई एडवरटाइजमेंट में दिखाया गया कि उनकी दवाएं कितनी तरह की बीमारियों के इलाज में काम आ सकती हैं और इसके साथ ही एलोपैथिक और मॉडर्न दवाओं को नीचा भी दिखाया गया. कोर्ट ने पहले कहा था कि वो भ्रामक प्रचार करने वाली उन सभी संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाएगी जो अस्थमा (Asthama) और मोटापे (Obesity) का इलाज बताने का दावा करती हैं.

उस वक्त, पतंजलि ने कोर्ट में कहा था कि वो सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी तरह की दवाओं की क्षमता को नीचा दिखाने वाला कोई भी बयान मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा.

हालांकि, कोर्ट की गंभीर चेतावनी के बाद पतंजलि ने मीडिया में बयान जारी करते हुए कहा कि उसने अपने प्रोडक्ट से जुड़ा किसी भी तरह का 'फर्जी एडवरटाइजमेंट या प्रोपेगैंडा' जारी नहीं किया है. इसलिए भ्रामक प्रचार पर सुप्रीम कोर्ट उन पर किसी तरह का जुर्माना लगाए या फिर 'मृत्यु दंड' दे, तो भी वो उस पर कोई सवाल नहीं उठाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट से अंडरटेकिंग मिलने के बावजूद कंपनी ने अपने भ्रामक प्रचार को आगे भी जारी रखा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों का पालन नहीं करने के चलते बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया. जब कंपनी सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब नहीं दे सकी तो कोर्ट ने रामदेव को व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया.

कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने पर होने वाली आलोचनाओं के बाद पतंजलि ने बीते महीने अपना माफीनामा दाखिल किया. इस माफीनामे में कहा गया कि उसका इरादा देश के लोगों को उनके प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर एक स्वस्थ जीवन की तरफ बढ़ाने पर था.

आखिरी सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि पतंजलि ने अच्छा काम किया है लेकिन वो किसी अन्य मेडिकल ट्रीटमेंट के सिस्टम की आलोचना नहीं कर सकता. वो केवल अपने काम पर ध्यान दे सकता है. इस पर रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट के सामने अपनी गलती स्वीकारी और इसे आगे नहीं करने की सुनिश्चितता जाहिर की. जस्टिस हिमा कोहली ने बालकृष्ण और रामदेव के इस संकल्प को देखते हुए अगले 1 हफ्ते में सुधार करने को कहा.

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