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PepsiCo को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, Lay's चिप्‍स वाले आलू के पेटेंट का रास्ता साफ

पेप्सिको किसानों को एक खास किस्‍म के आलू के बीज की सप्लाई करती है और फिर उनसे एक तय भाव पर आलू खरीदती है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:04 PM IST, 10 Jan 2024NDTV Profit हिंदी
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दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कोल्‍ड ड्रिंक्‍स और स्‍नैक्‍स बनाने वाली कंपनी पेप्सिको (PepsiCo) को आलू की उस किस्‍म के पेटेंट का दावा की अनुमति दे दी है, जिस किस्‍म की आलू से कंपनी अपनी चिप्‍स 'लेज' (Lay's) तैयार करती है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के 5 जुलाई 2023 वाले पुराने आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पेप्सिको का दावा खारिज कर दिया गया था.

दिल्‍ली हाईकोर्ट के ताजा फैसले के बाद अब पेप्सिको, लेज चिप्‍स के लिए उगाई जाने वाले आलू की किस्‍म के लिए पेटेंट आवेदन कर सकती है. बता दें कि पेप्सिको कंपनी पेप्सी (Pepsi), मिरिंडा (Mirinda), माउंटेन ड्यू (Mountain Dew) जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्‍स के अलावा लेज (Lay's), अंकल चिप्‍स (Uncle Chips) और अन्‍य तरह के स्‍नैक्‍स तैयार कर बेचती है.

लंबे समय से चला आ रहा विवाद

दरअसल, 1989 में अपना पहला आलू चिप्‍स प्‍लांट लगाने वाली पेप्सिको किसानों से विशेष किस्‍म के आलू की खेती करवाती रही है. कंपनी किसानों को एक खास किस्‍म के आलू के बीज की सप्लाई करती है और फिर किसानों से निश्चित भाव पर आलू खरीदती है. इस किस्‍म के आलू ठोस, शुष्‍क, स्थिर सुगर जैसी खासियत वाले होते हैं.

18 फरवरी, 2011 को पेप्सिको ने आलू की इसे नई किस्‍म के रूप में रजिस्‍ट्रेशन के लिए आवेदन किया था. कंपनी ने इसकी पहली व्यावसायिक बिक्री की तारीख 17 दिसंबर, 2009 बताई. साल 2012 में प्रस्तुत एक संशोधन के बाद, पेप्सिको को 1 फरवरी 2016 को रजिस्‍ट्रेशन सर्टिफिकेट मिला.

हालांकि, 17 जून, 2019 को रजिस्‍ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द करने का आवेदन दायर किया गया, जिसमें गलत जानकारी, आवश्यक जानकारी नहीं दे पाने और एक्‍ट का अनुपालन न करने का दावा किया गया.

अदालत की एकल खंडपीठ ने, सर्टिफिकेट रद्द करने की कार्यवाही के दौरान पाया कि आलू की उस किस्म की पहली बिक्री 2002 में चिली में हुई थी, जो कि पेप्सिको के आवेदन को झूठ साबित करती है, जिसमें तारीख 17 दिसंबर, 2009 बताई गई थी.

किसानों पर भी किया था मुकदमा

वर्ष 2019 में पेप्सिको ने कुछ किसानों पर इस खास किस्म के आलू की खेती करने के लिए मुकदमा कर दिया और उन पर पेटेंट के उल्लंघन का आरोप लगाया. कंपनी ने हर एक किसान से 10 करोड़ रुपये का मुआवजा भी मांगा. हालांकि पेप्सिको ने कुछ महीने बाद मुकदमा वापस ले लिया.

किसान अधिकार कार्यकर्ता कविता कुरुंगती ने कंपनी के खिलाफ एक आवेदन दायर किया, जिसके बाद दिसंबर 2021 में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Authority) ने आलू का सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया.

बता दें कि PPVFR एक्‍ट पौधों की किस्मों की सुरक्षा करता है और देश में कृषि विकास को बढ़ावा देता है. PPVFR ने कंपनी के वैरिएटल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया जो इसे देश में आलू की खास किस्म पर मिला था.

ताजा सुनवाई में सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ पेप्सिको की अपील में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कहा कि निरस्तीकरण की शक्ति का प्रयोग केवल पात्रता या वैधता को प्रभावित करने वाली स्थितियों में ही किया जाना चाहिए.

पुराने आदेश रद्द, पेप्सिको को राहत

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 5 जुलाई 2023 वाले उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कंपनी की पेटेंट अपील को खारिज कर दिया गया था. ये निर्णय पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) के आदेश से संबंधित था.

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'पेप्सिको की अपील स्वीकार की जाती है. इसके परिणामस्‍वरूप 3 दिसंबर 2021 को जारी PPVFRA का आदेश और 11 फरवरी 2022 को प्राधिकरण की ओर से जारी पत्र भी रद्द कर दिया गया है.'

दिल्‍ली हाईकोर्ट के ताजा आदेश से पेप्सिको को बड़ी राहत मिली है और आलू की किस्‍म पर उसका पेटेंट का दावा करने का रास्ता साफ हो गया है.

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