सुप्रीम कोर्ट ने LMV (Light Motor Vehicle) लाइसेंस पर एक अहम फैसला दिया है. 5 जजों वाली बेंच के फैसले के मुताबिक LMV लाइसेंसधारियों को ट्रांसपोर्ट व्हीकल के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है, बशर्ते ट्रांसपोर्ट व्हीकल का वजन 7,500 किलोग्राम से कम हो.
कोर्ट ने साफ किया कि ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने के लिए अतिरिक्त योग्यताएं सिर्फ उन व्हीकल्स के लिए लागू होंगी, जिनका वजन 7,500 किलोग्राम से ज्यादा है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मोटर व्हीकल एक्ट के दो अहम लक्ष्यों पर बड़ा असर होगा; इनमें रोड सेफ्टी और एक्सीडेंट में शामिल लोगों को वक्त पर मुआवजा उपलब्ध कराना शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस व्याख्या से इंश्योरेंस कंपनियों की वैध दावों को नकारने की प्रवृत्ति कम होगी. दरअसल इंश्योरेंस कंपनियां रोड एक्सीडेंट्स के मामलों में ट्रांसपोर्ट और नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स के लिए टेक्निकल अंतर के आधार पर दावों को नकार देती हैं.
कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे उन ड्राइवर्स को भी सहूलियत मिलेगी, जो LMV ड्राइविंग लाइसेंस के जरिए 7,500 किलोग्राम से कम के ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स चला रहे हैं.
घंटों तक ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स चलाने वाले गिग वर्कर्स के पक्ष में ये फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रोड सेफ्टी के मुद्दे पर भी टिप्पणी की.
कोर्ट ने कहा कि वैश्विक स्तर पर रोड सेफ्टी बेहद गंभीर मुद्दा है और 2023 में अकेले भारत ही करीब 17 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार था. लेकिन ये कहना सही नहीं होगा कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि LMV लाइसेंस होल्डर्स ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स चला रहे हैं.
कोर्ट ने रोड एक्सीडेंट्स के पीछे कई कारण गिनाए जिनमें सीट बेल्ट के नियमों का पालन ना करना, मोबाइल फोन का इस्तेमाल, शराब पीकर गाड़ी चलाना और ऐसी ही वजहें शामिल थीं.
कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल चलाना एक कॉम्प्लेक्स काम है, जिसमें कई स्किल शामिल होते हैं. ड्राइवर्स के जो अहम स्किल हैं, वे पूरी दुनिया में एक जैसे हैं, चाहे वो ट्रांसपोर्ट व्हीकल हो या नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल हो.