सुप्रीम कोर्ट ने धारावी पुनर्विकास परियोजना के निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इससे पहले, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप के इस तर्क से सहमति जताई कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के पुनर्विकास की परियोजना शुरू हो चुकी है, जिसमें बड़ा निवेश किया जा चुका है और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है.
सेक्टालिंक टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन (Sectalink Technologies Corporation) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें धारावी पुनर्विकास परियोजना को अदाणी प्रॉपर्टी लिमिटेड को सौंपा गया.
हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि, मामले की अगली सुनवाई मई में होगी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल के लिए यथास्थिति बनाए रखने की मांग की, यानी कि परियोजना पर अस्थायी रूप से रोक लगाने की गुजारिश की, लेकिन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे खारिज कर दिया.
CJI ने कहा कि 'वहां पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और कुछ रेलवे क्वार्टर भी तोड़े जा चुके हैं.' इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि अदाणी ग्रुप इस परियोजना से जुड़ा पूरा भुगतान एक एस्क्रो (Escrow) अकाउंट के जरिए ही करेगा.
अदाणी ग्रुप की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'परियोजना का काम पहले ही शुरू हो चुका है. इसमें करोड़ों की मशीनरी और अन्य संसाधन लगाए जा चुके हैं.'
उन्होंने कहा, 'करीब 2000 लोग इस परियोजना में कार्यरत हैं और इस पर रोक लगाने से अपूरणीय (irreversible) क्षति हो सकती है.'
चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से ये भी कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही लग रहा है, क्योंकि रेलवे लाइन के विकास को भी इस परियोजना का हिस्सा माना गया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार और अदाणी ग्रुप को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, धारावी पुनर्विकास परियोजना का काम जारी रहेगा. फिलहाल ये मामला महाराष्ट्र सरकार के पक्ष में जाता दिख रहा है. मई में आगे की सुनवाई होनी है.