आकासा एयर (Akasa Air) और इससे इस्तीफा देने वाले पायलटों के बीच कानूनी लड़ाई तेज हो चुकी है. इस लड़ाई को लेकर एयरलाइन मुंबई हाई कोर्ट के साथ-साथ अब दिल्ली हाई कोर्ट भी पहुंच चुकी है. पूरा मामला बड़ी संख्या में पायलटों द्वारा नोटिस पीरियड सर्व किए बिना एयरलाइंस से इस्तीफा देने का है. इसके चलते आकासा को अपनी कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा है.
मुंबई हाई कोर्ट में इस्तीफा देने वाले पायलटों में से 43 पायलटों के खिलाफ एयरलाइन ने केस दायर किया है. अब इनमें से कुछ ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि मुंबई हाई कोर्ट का मामले में क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि एयरलाइंस के साथ उनके नौकरी संबंधी करार दिल्ली में हुए थे.
आकासा ने जवाब में कहा है कि जॉब कॉन्ट्रैक्ट में एक क्लॉज मुंबई हाई कोर्ट को विशेष तौर पर कानूनी सुनवाई का क्षेत्राधिकार देता है. इसलिए पायलटों की बात तर्क संगत नहीं है.
हालांकि पहले मुंबई में केस दाखिल करने के बाद, आकासा एयरलाइंस दिल्ली हाई कोर्ट में भी रिट पिटीशन दायर कर चुकी है. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई भी हुई, जिसमें एयरलाइन ने कहा कि पायलटों के अचानक नौकरी छोड़ने के चलते एयरलाइंस संकट में आ गई है और ये बंद भी हो सकती है.
कंपनी ने कहा कि अगस्त के बाद सितंबर में कुल मिलाकर 600 से 700 उड़ानें रद्द हो सकती हैं. बता दें एक पायलट की ट्रेनिंग में 6-7 महीने से भी ज्यादा वक्त लगता है.
हाल ही में अकासा एयरलाइन के कई पायलटों ने कथित तौर पर अपना नोटिस पीरियड पूरा किए बिना ही कंपनी छोड़ दी थी. पायलटों की कमी के चलते कंपनी को अपनी कई फ्लाइट्स को कैंसिल करना पड़ा, जिसमें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ साख भी खराब हुई.
अकासा एयर के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने केवल पायलटों के एक छोटे ग्रुप के खिलाफ कानूनी निदान की मांग की है, जिन्होंने अपना नोटिस पीरियड पूरा किए बिना ही अपनी ड्यूटी छोड़ दी.'
कंपनी ने कहा कि पायलटों का इस तरह नौकरी छोड़ना न केवल कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट्स का उल्लंघन है, बल्कि ये देश के सिविल एविएशन रेगुलेशन से भी जुड़ा मामला है.