देश में शराब, गुटखा और तंबाकू जैसे प्रतिबंधित उत्पादों के लिए ब्रैंड एक्सटेंशन से जुड़ी गाइडलाइन्स को और ज्यादा मजबूत किया गया है. देश में हाई-प्रोफाइल खेल आयोजनों (Sports Events) के दौरान सेलिब्रिटी कैंपेन्स को ध्यान में रखते हुए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (Advertising Standards Council of India) ने ये कदम उठाया है.
इस संबंध में गुरुवार को ASCI ने प्रेस रिलीज जारी कर दिशानिर्देशों में किए गए बदलाव के बारे में बताया है.
ASCI ने ब्रैंड एक्सटेंशन से संबंधित विज्ञापन पर किए जाने वाले खर्च को नए बिजनेस से जोड़ने वाले मानदंड निर्धारित किए हैं. ये मानदंड, मौजूदा गाइडलाइन्स के अतिरिक्त हैं, जो ब्रैंड्स के लिए वास्तविक एक्सटेंशन माने जाने वाले बिजनेस, निवेश या डिस्ट्रीब्यूशन क्राइटिरिया तय करते हैं.
आमतौर पर कोई भी ब्रैंड किसी एक प्रोडक्ट के लिए रजिस्टर्ड होता है. जब कोई कंपनी मौजूदा ब्रैंड नेम पर पूरी तरह से नए प्रोडक्ट या रेंज के लिए इसका इस्तेमाल करती है, जो इसे ब्रैंड एक्सटेंशन कहा जाता है.
कोई गुटखा कंपनी, अपने ब्रैंड नेम से ही केसर-इलायची जैसे प्रोडक्ट लॉन्च कर दे और सेलिब्रिटी से अपना विज्ञापन कराए तो इस स्थिति में ASCI के नए दिशानिर्देश लागू होंगे.
ब्रैंड एक्सटेंशन का मकसद नए प्रोडक्ट बेचने के लिए मास्टर ब्रांड के नाम, रेप्यूटेशन, पॉपुलैरिटी का फायदा उठाना होता है. आपने देखा होगा कि कई कंपनियां पैकेज्ड वॉटर और क्लब सोडा जैसे प्रोडक्ट का विज्ञापन कर शराब जैसे प्रोडक्ट्स के लिए फायदा उठाना चाहती हैं.
आइए जानते हैं, नई गाइडलाइन्स में किन मुद्दों पर फोकस किया गया है.
किसी मौजूदा प्रतिबंधित ब्रैंड के तहत किसी नए प्रोडक्ट के विज्ञापन पर खर्च की जाने वाली राशि, उससे होने वाली बिक्री के अनुपात में होनी चाहिए.
इस तरह के ब्रैंड एक्सटेंशन के लिए, विज्ञापन बजट को उस नए प्रोडक्ट के लॉन्च के पहले 2 वर्षों में टर्नओवर का 200%, तीसरे वर्ष में 100%, चौथे वर्ष में 50% और उसके बाद 30% तक सीमित किया जाना चाहिए.
विज्ञापन बजट में पिछले 12 महीनों में हर मीडिया माध्यम पर खर्च, वार्षिक आधार पर सेलिब्रिटी को पेमेंट और पिछले 3 वर्ष में ब्रैंड एक्सटेंशन के लिए विज्ञापन बनाने पर खर्च की गई वार्षिक औसत राशि शामिल है.
यदि कोई ब्रैंड अलग-अलग संस्करण (Versions) या स्वाद (Flavours) पेश करता है, तो उन्हें पूरी तरह से नया एक्सटेंशन नहीं माना जाएगा, बल्कि मूल ब्रैंड एक्सटेंशन का हिस्सा माना जाएगा.
उदाहरण के लिए, जैसे कोई लोकप्रिय शैंपू ब्रैंड नई खुशबू के साथ अपने प्रोडक्ट पेश करता है तो इसे अलग से एक्सटेंशन नहीं माना जाएगा.
विज्ञापन के लिए ब्रैंड एक्सटेंशन के जरूरी मानदंडों के सारे साक्ष्य किसी प्रतिष्ठित स्वतंत्र चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म से प्रमाणित होने चाहिए, ताकि गाइडलाइन्स का पालन निश्चित रूप से हो.
यदि कोई ब्रैंड एक्सटेंशन की शर्तें पूरी नहीं करता है तो ASCI इसे वास्तविक एक्सटेंशन नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित श्रेणी (शराब, सिगरेट, तंबाकू वगैरह) का विज्ञापन करने का तरीका मानेगा.
ASCI की CEO और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, 'उपभोक्ता संरक्षण और विज्ञापन में नैतिकता सुनिश्चित करने के लिए ASCI प्रतिबद्ध है और इसलिए नई गाइडलाइन्स बनाई गई हैं. हमारा मानना है कि ये दिशानिर्देश इंडस्ट्री में विज्ञापनों की प्रतिबद्धता बनाए रखेंगे.'