देश के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) को रिवाइज करने वाला सरकारी पैनल खाद्य पदार्थों के वेटेज (Food Weightage) में कटौती करने पर विचार कर रहा है. इस मामले से परिचित एक व्यक्ति के हवाले से ब्लूमबर्ग ने ये खबर दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का रीव्यू पैनल, कंज्यूमर प्राइस बास्केट में फूड वेटेज को 8% तक कम करने के प्रस्ताव पर चर्चा कर रहा है.
केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय (MoSPI) के प्रवक्ता ने इस बारे में आगे की जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का फिलहाल तक जवाब नहीं दिया है.
फिलहाल CPI बास्केट में फूड और बेवरेज कैटगरी का वेटेज 54.2% है. अगर 8% की कटौती की गई तो कंज्यूमर प्राइस बास्केट में फूड और बेवरेज का वेटेज घट कर 6% के करीब हो जाएगा. ऐसा होने से देश में महंगाई दर में बढ़ोतरी पर प्रभाव पड़ेगा और महंगाई पहले की अपेक्षा कम दिखेगी.
मौजूदा समय में CPI का कैलकुलेशन 011-2012 में सर्वे किए गए कंज्यूमर स्पेंडिंग पैटर्न पर आधारित है. इसके बारे अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ये पुराना हो चुका है और केंद्रीय बैंक RBI के पॉलिसी रेट्स निर्धारित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आधिकारिक इनफ्लेशन डेटा को प्रभावित कर सकता है.
हाल के सर्वेक्षणों से पता चला है कि कंज्यूमर एक दशक पहले की तुलना में अब भोजन पर अपने बजट का कम खर्च कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग इकोनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि जून में महंगाई, नए प्रस्तावित वेटेज की तुलना में 70 बेसिस प्वाइंट ज्यादा थी.
रिजर्व बैंक ने एक साल से अधिक समय से ब्याज दरों को बरकरार (Unchanged) रखा है, और महंगाई के 4% लक्ष्य से ऊपर होने के कारण अपने रुख पर कायम है. ब्लूमबर्ग के इकोनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि RBI गुरुवार को फिर से अपने रुख पर कायम रह सकता है.
CPI बास्केट में ज्यादा वेटेज के चलते खाद्य (Food) महंगाई का एक बड़ा फैक्टर है. जून में, फूड इनफ्लेशन में एक साल पहले की तुलना में 9.36% की बढ़ोतरी देखी गई, जिससे हेडलाइन इनफ्लेशन दर 5.08% हो गई. जबकि फूड और एनर्जी को छोड़ दें तो महंगाई का आंकड़ा 3.15% रहा था.
रिटेल महंगाई 5.08% रही थी
खाद्य महंगाई दर 9.36% रही
ग्रामीण इलाकों में महंगाई 5.66%
शहरी इलाकों में महंगाई 4.39%
CPI में फिलहाल 299 आइटम्स का कैलकुलेशन किया जाता है. कई वर्षों से यही पैटर्न चला आ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से अनावश्यक आइटम्स जैसे, घोड़ा गाड़ी का किराया, वीडियो कैसेट रिकॉर्डर की कीमतें और ऑडियो-वीडियो कैसेट की लागत वगैरह को कैलकुलेशन से बाहर किया जा सकता है.
जानकार ने ब्लूमबर्ग से कहा कि सरकारी पैनल अपडेट किए जा रहे इंडेक्स में स्मार्टफोन जैसे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स को शामिल करने पर भी चर्चा कर रहा है.
CPI वेटेज और आधार वर्ष (Base Year) में बदलाव पर अभी विचार चल रहा है और संभवतः जनवरी 2026 तक इसके लागू होने की उम्मीद है. ये संशोधन नए कंज्यूमर स्पेंडिंग सर्वे पर आधारित हैं, जिन्हें केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय अभी भी अंतिम रूप दे रहा है. पूरी प्रक्रिया 2025 के दौरान किसी समय पूरी होने की उम्मीद है.
देश के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन ने पिछले महीने तर्क दिया था कि केंद्रीय बैंक के महंगाई लक्ष्य में फूड को शामिल नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि CPI लक्ष्य से खाद्य को हटाना भारत जैसे देश के लिए उचित नहीं है.