मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) के सदस्यों ने महंगाई को घटाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है. कमिटी ने हालात पर पैनी नजर रखते हुए पॉलिसी पर अगला कदम उठाने की तैयारी कर रखी है. इस दौरान, रिटेल महंगाई 4(+/-2)% के लक्ष्य को पार करने के बाद भी ब्याज दरों पर पॉज बरकरार रखा गया. ये जानकारी सामने आई है MPC के मिनट्स से.
RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि हेडलाइन CPI के जुलाई-अगस्त में बढ़ने की संभावना है, जिसके पीछे वजह टमाटर और दूसरी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी रहेगी. उन्होंने कहा कि जहां नई फसल के आने के साथ सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर सुधार आने की उम्मीद है. वहीं, अल नीनो, खाने-पीने की कीमतों में उतार-चढ़ाव और खराब मॉनसून की वजह से खाने की कीमतों और कुल महंगाई को लेकर जोखिम बने हुए हैं.
दास ने कहा कि सप्लाई के मोर्चे पर सही कदम उठाने की जरूरत है, जिससे खाने के सामान की सप्लाई में आने वाली दिक्कतों को रोका जा सके. गवर्नर का कहना है कि हमारा काम अभी पूरा नहीं हुआ है. सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी की छोटी अवधि को देखते हुए, मॉनिटरी पॉलिसी में हेडलाइन महंगाई पर पहले राउंड के झटके को देखा गया है. उन्होंने कहा कि इसी समय पर, हमें खाने के सामान की कीमतों में दोबारा बढ़ोतरी के लिए तैयार रहने की जरूरत है.
दास ने आगे कहा कि इस माहौल में, हम महंगाई को 4% के लक्ष्य में रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम अपने पिछले एक्शन और बदलती महंगाई के लिए आने वाले डेटा के असर का लगातार आकलन कर रहे हैं. और जब भी जरूरत हो, दखल देने के लिए तैयार हैं.
RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि जहां अप्रत्याशित और छोटी अवधि की डिमांड-सप्लाई में असमानता मॉनिटरी पॉलिसी के क्षेत्र के बाहर है, वहीं कीमतें स्थिर रखने की प्रतिबद्धता की वजह से RBI को इसमें आने वाली दिक्कतों को देखना होगा.
कमेटी के सदस्य जयंत आर वर्मा ने कहा कि जून में, मैंने केवल कुछ महीनों को देखते हुए महंगाई पर जीत का ऐलान करने के खिलाफ चेतावनी दी थी और MPC के उस महीने महंगाई के टॉलरेंस बैंड के अंदर आने के बयान को लेकर विरोध जताया था. अब ये साफ है कि कुछ महीने महंगाई टॉलरेंस बैंड से ऊपर रहेगी. उन्होंने कहा कि मेरा ये विचार है कि रेपो रेट का मौजूदा स्तर महंगाई को अपर टॉलरेंस बैंड से नीचे लाने के लिए पर्याप्त ऊंचाई पर है.
वहीं, RBI के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजीव रंजन ने कहा की मॉनिटरी पॉलिसी सप्लाई के मोर्चे पर आई दिक्कतों को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर सकती थी.