Lok Sabha Elections Results 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने न केवल राजनीतिक पार्टियों, बल्कि आम लोगों को भी चौंका दिया है. सभी चरणों की वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल एजेंसियों ने अपने सर्वे की जो तस्वीरें सामने रखी थी, वे नतीजे के दिन धुंधली साबित हुईं.
पिछले चुनाव में अपने दम पर पूर्ण बहुमत (309) लाने वाली BJP इस बार पिछड़ती नजर आ रही है. अगर सीटें कम हुईं तो हो सकता है कि सरकार बनाने के लिए NDA गठबंधन में शामिल दलों पर पार्टी की निर्भरता बढ़ जाए. हालांकि कांग्रेस की अगुवाई वाली I.N.D.I.A. बहुमत के जादुई आंकड़े (272) से काफी दूर है.
इस बीच आम चुनाव 2024 में कई बड़े उलटफेर भी देखने को मिले, जिन्होंने सबको चौंका कर रख दिया. जीत का दंभ भरने वाले कई दिग्गज चुनाव हार गए. किसी पार्टी के लिए कुछ राज्यों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन दिखा तो किसी अन्य पार्टी को कुछ राज्यों ने जबरदस्त झटका दिया.
यहां हम बात करेंगे कुछ बड़े उलटफेर के बारे में.
सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश का जनादेश BJP के लिए किसी झटके से कम नहीं है. बेशक यहां BJP की बड़ी जीत है, लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने यहां जो कर दिखाया, उसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी. तमाम एग्जिट पोल्स के अनुमान यहां गलत साबित हुए. पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में देखें तो यहां BJP को 50% का नुकसान हुआ है. 2019 में यहां 62 सीट लाने वाली BJP इस बार 2024 में 32 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. वहीं कांग्रेस-सपा के खाते में 44 सीटें जाती दिख रही हैं. हालांकि अंतिम नतीजे आने बाकी हैं.
उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से 2 बार सांसद रह चुकीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इस बार अपनी सीट नहीं बचा सकीं. कांग्रेस प्रेसिडेंट रह चुके राहुल गांधी से 2014 में उन्होंने ये सीट छीनी थी और 2019 में एक बार फिर मोदी लहर का उन्हें फायदा मिला, लेकिन इस बार कांग्रेस के ही एक पुराने कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा से वो चुनाव हार गईं. हर बार राहुल गांधी पर हमलावर रहीं स्मृति ईरानी, इस बार कांग्रेस के खिलाफ उतना मुखर नहीं हो पाईं. अमेठी के इतिहास में ऐसा तीसरी बार हुआ जब गांधी परिवार के अलावा किसी चुनाव जीता है. किशोरीलाल शर्मा से पहले विद्याधर बाजपेई और कैप्टन सतीश शर्मा यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं.
18वें लोकसभा चुनाव में तेलंगाना के पूर्व CM चंद्रशेखर (KCR) राव की भारत राष्ट्र समिति (BRS) को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. 2019 में यहां की 17 में से 9 सीटों पर KCR को जीत मिली थी. इस बार यहां कांग्रेस और BJP को 8-8 सीटें मिलीं, जबकि 1 सीट हैदराबाद लगातार 5वीं बार ओवैसी के खाते में गई.
चंद्रशेखर राव 2014 में तेलंगाना का गठन होने के बाद से पिछले साल दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री रहे, जिस चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें हराया. लोकसभा चुनाव में KCR की पार्टी BRS किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं थी और उसने अकेले चुनाव लड़ा, जिसमें स्कोर जीरो रहा.
पश्चिम बंगाल की बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर दिग्गज BJP नेता दिलीप घोष की हार ने भी खूब चौंकाया. घोष BJP के स्टेट प्रेसिडेंट रह चुके हैं और TMC पर खूब हमलावर रहे हैं. उनके प्रेसिडेंट रहते ही बंगाल में BJP ने बेहतर प्रदर्शन किया था. वे संघ में भी रह चुके हैं और संगठन में भी. वहीं, उन्हें हार भी मिली तो किससे? BJP के ही पूर्व सांसद से.
बिहार के पूर्व CM भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के खिलाड़ी रहे हैं. BJP के टिकट पर दरभंगा से 3 बार सांसद रह चुके हैं. दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बागी हुए. BJP ने पार्टी से निकाला तो कांग्रेस में शामिल हुए. 2019 में धनबाद से लोकसभा का टिकट मिला, लेकिन 4.8 लाख वोट से हार गए. फिर 2022 में ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी TMC में जगह दी, इस बार बर्धमान से टिकट भी दिया और उन्होंने आखिरकार जीत का स्वाद चखा.
इस चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) का स्कोर जीरो रहा. पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आई. यहां तक कि उसका वोट पर्सेंटेज 10% से भी नीचे रहा. 2014 में भी ऐसा हुआ था. हालांकि 2019 का लोकसभा चुनाव BSP ने अखिलेश-मुलायम की SP के साथ मिलकर लड़ा था और 19.34% वोट पाकर उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार यहां की 80 सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ी थी, लेकिन इसके सारे कैंडिडेट हार गए.
पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट पर पूर्व क्रिकेटर ने एक ऐसे दिग्गज नेता का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जो पिछले 25 सालों से अजेय थे. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी यहां पूर्व राष्ट्रीय क्रिकेटर युसूफ पठान से हार गए. 1999 से ही वे इस सीट पर जीतते चले आ रहे थे. 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी वे नहीं हारे थे, लेकिन TMC ने पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को टिकट देकर यहां पर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया. पठान का ये पहला चुनाव है और राजनीति में वे बिल्कुल नए खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्होंने आखिरकार अधीर रंजन के 25 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.
बिहार में पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की जीत वैसे तो प्रत्याशित मानी जा रही थी, लेकिन BJP, JDU के साथ RJD के लिए भी ये बड़ा झटका है. बिहार में इंडिया गठबंधन हुआ तो पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कर दिया था. उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की पुरानी और वरिष्ठ नेता हैं.
राहुल गांधी से उन्हें टिकट की उम्मीद भी थी, लेकिन ये सीट RJD के पाले में गई और तेजस्वी यादव ने बीमा भारती को टिकट दे दिया. लेकिन चुनाव में जनता ने बीमा भारती को सीधे नकार दिया और वो फिसड्डी साबित हुईं. वहीं 5.67 लाख से ज्यादा वोट पाने वाले पप्पू यादव ने JDU के संतोष कुशवाहा (निवर्तमान सांसद) को हरा कर जीत दर्ज की.