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Modi 3.0 Cabinet: अमित शाह को फिर से गृह मंत्रालय, नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद सिपाही की ऐसी है कहानी

अमित शाह पिछले कई दशकों से नरेंद्र मोदी के विश्‍वासपात्र रहे हैं और इस बार भी PM मोदी की कैबिनेट में वो अगली कतार में मौजूद हैं. उन्‍हें फिर से गृह मंत्रालय मिला है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी06:54 PM IST, 10 Jun 2024NDTV Profit हिंदी
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लोकसभा चुनावों में NDA की जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और एक बार फिर उनकी कैबिनेट में वरिष्‍ठ BJP नेता अमित शाह को जगह मिली है. चुनावी रणनीतियों के चाणक्‍य माने जाने वाले अमित शाह पिछली सरकार में एक शानदार गृह मंत्री साबित हुए हैं और इस बार फिर उन्‍हें गृह मंत्रालय मिला है.

अमित शाह पिछले कई दशकों से नरेंद्र मोदी के विश्‍वासपात्र रहे हैं और इस बार भी PM मोदी की कैबिनेट में वो अगली कतार में मौजूद हैं. बतौर गृह मंत्री नई सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में उनकी मजबूत भूमिका रहेगी.

शानदार रहा राजनीतिक करियर

22 अक्टूबर, 1964 को गुजरात के मनसा में एक साधारण परिवार में जन्‍मे अमित अनिल चंद्र शाह 16 वर्ष की आयु से ही BJP से जुड़े हैं. बायोकेमिस्‍ट्री की पढ़ाई के दौरान वे पार्टी के छात्र विंग ABVP से जुड़े थे. गुजरात में तो बेहतर नेता थे ही, 2014 में वे राष्‍ट्रीय फलक पर तब छाए, जब उन्‍हें पार्टी का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया.

BJP अध्यक्ष के तौर पर उन्‍होंने शानदार प्रदर्शन किया. उत्तर प्रदेश में पन्‍ना प्रमुख की रणनीति भला कौन भूल सकता है, जिसके दम पर उत्तर प्रदेश में BJP सत्ता में लौटी. 2019 में तो उनके नेतृत्‍व BJP ने इतिहास ही रच दिया. सरकार बनी तो मोदी 2.0 में वो गृहमंत्री बनाए गए.

गृह मंत्री रहते कई बड़े फैसले

गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक मामलों पर इन फैसलों का दूरगामी असर दिखा. सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करना था. इसके बाद इसे जम्‍मू-कश्मीर और लद्दाख, दो प्रदेशों के तौर पर विभाजन किया गया. इस तरह देश के बाकी राज्‍यों की तरह दोनों प्रदेश, एकीकृत हो गए.

अमित शाह ने CAA यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्‍य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करना था.

शाह के नेतृत्व में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कड़े और सख्त कदम उठाए गए. केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर उन्‍होंने अपना लोहा मनवाया.

गांधीनगर से बड़ी जीत

अमित शाह का गांधीनगर से गहरा नाता है. वो पिछले 3 दशक से यहां से जुड़े हुए हैं. वो इस संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीटों से विधायक रहे हैं. इस लोकसभा सीट से कभी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्‍गज नेता चुनाव लड़े हैं. 2019 में अमित शाह यहां से 5.57 लाख वोटों से जीते थे और इस बार उन्‍होंने 7.44 लाख वोटों के अंतर से उन्‍होंने रिकॉर्ड जीत दर्ज की.

दोबारा गृह मंत्रालय का प्रभार मिलने के बाद अमित शाह ने ट्वीट कर PM मोदी का आभार जताया.

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