वरिष्ठ BJP नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को नए मंत्रिमंडल में कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय (Agriculture And Rural Development Ministry) की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
करीब 16 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चौहान इस बार विदिशा लोकसभा सीट से 8 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीते हैं. वैसे शिवराज के नाम BJP की तरफ से सबसे लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी है.
प्यारेलाल खंडेलवाल, कुशाभाऊ ठाकरे और सुंदरलाल पटवा की छत्रछाया में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले शिवराज महज 31 साल की उम्र में विधायक और 32 में सांसद बन चुके थे. इस बार शिवराज 6वीं बार सांसद चुने गए हैं. जबकि वे 5 बार विधायक भी रहे हैं. आइए डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर.
शिवराज सिंह चौहान का जन्म भोपाल से करीब 80 किलोमीटर दूर बुधनी के जैत गांव में 5 मार्च 1959 को हुआ. उनका परिवार एक कृषक परिवार था.
शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक सफर उनके पढ़ाई के लिए भोपाल आने के बाद शुरू हुआ. भोपाल में वे मॉडल स्कूल के छात्र थे, जहां पढ़ाई करते हुए ही वे 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए.
1975 में शिवराज मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र संघ के अध्यक्ष थे, तभी देश में आपातकाल लगा दिया गया. इसके विरोध में शिवराज सिंह बेहद कम उम्र में ही भूमिगत आंदोलन में सक्रिय हो गए. इस दौरान 1976 में उन्हें भोपाल जेल में भी रखा गया.
1977 से 1990 के बीच वे ABVP में अलग-अलग दायित्वों को संभालते रहे. यही वो दौर था, जब वे एक सामाजिक कार्यकर्ता से चुनावी राजनीति में निपुण नेता में बदल रहे थे. 1982-83 तक आते-आते शिवराज ABVP में राष्ट्रीय स्तर के नेता हो गए और उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दे दी गई.
इसके बाद उन्होंने आगे भारतीय जनता युवा मोर्चा की राह पकड़ी. 1984-85 में वे पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव बने, इसके बाद महासचिव और फिर 1988-91 तक इसके अध्यक्ष रहे. मतलब युवा राजनीति से चलते-चलते अब शिवराज BJP में एक राष्ट्रीय नेता बन चुके थे.
1990 में BJP ने उन्हें विधानसभा टिकट दिया और वे पहली बार विधायक बने. 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी जिन दो सीटों से चुनाव लड़े थे, उनमें एक विदिशा भी थी. बाद में अटल ने विदिशा सीट छोड़ दी, जिसके बाद पार्टी ने यहां से टिकट दिया और पहली बार शिवराज सिंह चौहान 1991 में दसवीं लोकसभा के सदस्य बने.
शिवराज सिंह चौहान की राजनीति का अहम हिस्सा पदयात्राएं रही हैं. उन्होंने अविभाजित मध्य प्रदेश में ही इतनी यात्राएं की हैं, कि वे आम जनता के बीच पांव-पांव वाले भैया के नाम से ख्यात हो गए.
आज भले ही लोग शिवराज सिंह को मध्य प्रदेश की राजनीति के लिए जानते हों, लेकिन उनके पास लोकसभा का लंबा अनुभव है. दसवीं लोकसभा के बाद शिवराज 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी सांसद रहे. इस दौरान वे आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रालयों की परामर्शदात्री समितियों के सदस्य रहे.
शिवराज सिंह चौहान ने सांसद रहते हुए सैकड़ों लड़कियों का कन्यादान लिया. उन्होंने मुख्यमंत्री रहने के दौरान लड़कियों के जन्म, पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक सहायता करने के लिए लाड़ली लक्ष्मी जैसी कई लोकप्रिय योजनाएं चलाईं. यही कुछ वजह थीं, जिसके चलते वे युवाओं में 'मामा' नाम से ख्यात हो गए.
2002 में उन्हें BJP का राष्ट्रीय सचिव और 2003 में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया. मई 2005 में उन्हें मध्य प्रदेश BJP का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
उमा भारती ने 2003 में BJP को मध्य प्रदेश में सत्ता दिलवाने में बड़ा योगदान दिया. लेकिन झंडा प्रकरण में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने.
जब उमा भारती केस से बाइज्जत बरी हुईं, तो उनके और पार्टी के समीकरण उन्हें मुख्यमंत्री पद वापस दिलवाने के लिए मुनासिब नहीं थे, बाबूलाल गौर भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना नहीं चाह रहे थे. आखिरकार पॉलिटिकल टसल में हाईकमान के आदेश के बाद प्रदेश अध्यक्ष शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया. उमा भारती भी इस नाम पर सहमत थीं. इसके बाद जो हुआ, वो इतिहास है.
शिवराज के नेतृत्व में पार्टी ने 2008 और 2013 के लगातार दो चुनाव जीते. 2005 से 2018 तक शिवराज लगातार मुख्यमंत्री रहे. 2018 में कांग्रेस ने वापसी की और सरकार बनाने में कामयाब रही.
लेकिन ये सरकार 2020 तक आते-आते गिर गई और शिवराज सिंह ने बतौर मुख्यमंत्री फिर वापसी की. वे इस पद पर 2023 के चुनाव तक बने रहे. इस दौरान शिवराज सिंह अपनी गृह विधानसभा सीहोर जिले की बुधनी से लगातार विधायक रहे.
कुल मिलाकर शिवराज मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं. ऐसे में उनका लंबा प्रशासनिक अनुभव अब केंद्र के खूब काम आने की संभावना है.