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Youngest Minister: पिता की मौत के बाद राजनीति में आए, 'मोदी 3.0' में सबसे युवा मंत्री राम मोहन नायडू को मिली एविएशन मिनिस्‍ट्री

राम मोहन आंध्र प्रदेश की श्रीकाकुलम सीट से तीसरी बार सांसद बनाए गए हैं और चंद्र बाबू नायडू के बेहद करीब हैं.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी08:01 PM IST, 10 Jun 2024NDTV Profit हिंदी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में चंद्रमोहन नायडू की पार्टी TDP से 2 मंत्री बनाए गए हैं. चंद्रशेखर पेम्मासानी और राम मोहन नायडू किंजरापु. TDP सांसद राम मोहन काफी चर्चित नामों में से एक हैं. उनकी उम्र महज 36 वर्ष है और इस तरह वे मोदी 3.0 कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री हैं.

राम मोहन आंध्र प्रदेश की श्रीकाकुलम सीट से तीसरी बार सांसद बनाए गए हैं और चंद्र बाबू नायडू के बेहद करीब हैं. वे 26 साल की उम्र में ही पहली बार जीत कर सांसद बने थे.

सोमवार को जब पोर्टफोलियो का बंटवारा हुआ तो उन्‍हें सिविल एवि‍एशन मिनिस्‍ट्री यानी नागरिक उड्डयन मंत्रालय मिला है. पिछली सरकार में ये मंत्रालय ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के पास था, जिन्‍हें इस बार कम्‍यूनिकेशन मिनिस्‍ट्री और नॉर्थ-ईस्‍ट रीजन डेवलपमेंट मिनिस्‍ट्री मिली है.

विरासत में मिली राजनीति

18 दिसंबर, 1987 को जन्‍मे राम मोहन नायडू को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता येरन नायडू का नाम भी TDP के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं. सड़क दुर्घटना में पिता की मौत होने के बाद राम मोहन नायडू ने राजनीति में कदम रखा था. वे चंद्रबाबू नायडू के बेहद करीबी और खास माने जाते हैं.

पिता की मौत न होती तो...

अगर पिता की असमय मौत न होती, तो शायद राम मोहन नायडू राजनीति में नहीं आते. दरअसल दिल्‍ली में स्‍कूली एजुकेशन पूरा होने के बाद वो हायर स्‍टडी के लिए अमेरिका चले गए थे. यहां उन्‍होंने इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, फिर MBA किया.

इसके बाद नायडू सिंगापुर चले गए, जहां वो अपना करियर बनाने में जुटे ही थे कि पिता के मौत की खबर ने उन्‍हें झकझोर कर रख दिया. महज 24 वर्ष की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया. वे सबकुछ छोड़ घर लौट आए और पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला लिया.

2014 में वो राजनीति में उतरे और 26 साल की उम्र में श्रीकाकुलम से पहली बार सांसद चुने गए. इसके बाद से वो लगातार सांसद हैं.

संकट में सहयोग

राम मोहन नायडू ने मुश्किल दौर में चंद्रबाबू नायडू का मजबूती से साथ निभाया था. राम मोहन करीब 9 साल से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय थे, ऐसे में जब TDP चीफ चंद्रबाबू की गिरफ्तारी हुई तो इसके खिलाफ उनके बेटे नारा लाकेश के साथ मिलकर राम मोहन ने राष्‍ट्रीय राजधानी में आवाज बुलंद की थी. चंद्रबाबू की गिरफ्तारी के खिलाफ उन्‍होंने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर आवाज उठाई.

संसद रत्‍न सम्‍मान

चंद्रबाबू नायडू जब भी दिल्‍ली आते हैं तो अक्‍सर राम मोहन उनके साथ दिखते हैं. राम मोहन नायडू कई संसदीय समिति के सदस्‍य रह चुके हैं और वर्ष 2020 में उन्‍हें संसद रत्‍न पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया जा चुका है. अब नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में सिविल एविएशन मिनिस्‍टर बनने के बाद उनकी राजनीतिक पारी में एक और उपलब्धि जुड़ गई है.

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