प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास मंत्रालयों के लिए अपने पुराने लोगों पर ही भरोसा जताया है. यानी सरकार के टॉप 4 मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है. गृह मंत्रालय अमित शाह के पास ही रहेगा. निर्मला सीतारमण ही वित्त मंत्रालय संभालेंगी और वही अगले महीने बजट पेश करेंगी. इसके अलावा राजनाथ सिंह के पास रक्षा और एस जयशंकर के पास विदेश मंत्रालय रहेगा.
चुनावी रणनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह पिछली सरकार में एक शानदार गृह मंत्री साबित हुए हैं और इस बार फिर उन्हें गृह मंत्रालय मिला है. अमित शाह पिछले कई दशकों से नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र रहे हैं और इस बार भी PM मोदी की कैबिनेट में वो अगली कतार में मौजूद हैं. बतौर गृह मंत्री नई सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में उनकी मजबूत भूमिका रहेगी.
शानदार रहा राजनीतिक करियर
अमित शाह कॉलेज में पढ़ाई के दौरान पार्टी के छात्र विंग ABVP से जुड़े थे. गुजरात में तो बेहतर नेता थे ही, 2014 में वे राष्ट्रीय फलक पर तब छाए, जब उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. BJP अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया. उत्तर प्रदेश में पन्ना प्रमुख की रणनीति भला कौन भूल सकता है, जिसके दम पर उत्तर प्रदेश में BJP सत्ता में लौटी. 2019 में तो उनके नेतृत्व BJP ने इतिहास ही रच दिया. सरकार बनी तो मोदी 2.0 में वो गृहमंत्री बनाए गए.
गृह मंत्री रहते कई बड़े फैसले
गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक मामलों पर इन फैसलों का दूरगामी असर दिखा. सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करना था. इसके बाद इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दो प्रदेशों के तौर पर विभाजन किया गया. इस तरह देश के बाकी राज्यों की तरह दोनों प्रदेश, एकीकृत हो गए.
अमित शाह ने CAA यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पारित कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करना था. शाह के नेतृत्व में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से कड़े और सख्त कदम उठाए गए. केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने अपना लोहा मनवाया.
राजनाथ सिंह एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का हिस्सा बने हैं. सोमवार को जब पोर्टफोलियो तय हुआ तो उन्हें एक बार फिर रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.
मोदी के पहले कार्यकाल में वे गृह मंत्री बनाए गए थे, जबकि दूसरे कार्यकाल में रक्षा मंत्री. और अब तीसरे कार्यकाल में भी बतौर रक्षा मंत्री वे अपनी जिम्मेदारी कंटीन्यू करेंगे.
राजनाथ सिंह BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. मोदी से पहले वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी केंद्रीय मंत्री बनाए गए थे. यानी अटल से लेकर मोदी तक, हर दौर में वे महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं और मंत्रिमंडल का हिस्सा बने हैं. 2014 में जीत के बाद वे गृह मंत्री बनाए गए थे और फिर 2019 में जीत के बाद उन्हें नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में रक्षा मंत्री बनाया गया था. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में राजनाथ सिंह ने तीसरी बार कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली और रक्षा मंत्री बनाए गए हैं.
लखनऊ से तीसरी बार जीत
राजनाथ सिंह लखनऊ लोकसभा सीट से तीसरी बार जीतकर संसद पहुंचे हैं. इससे पहले 2014 और 2019 में भी वह लखनऊ सीट से जीत चुके हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को करीब 1.35 लाख वोटों से हराया.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षा मंत्री और दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री रह चुकीं निर्मला सीतारमण को एक बार फिर से वित्त मंत्री बनाया गया है.
वित्त मंत्री रहते कमाया नाम
निर्मला सीतारमण ने 2019 में भारतीय संसद में पहला बजट पेश किया था. उसके बाद से लगातार बजट पेश करती रहीं. केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल प्रभावी रहा है. न्यू टैक्स रिजीम से लेकर बकाए टैक्स में रिबेट मिलने तक, इनकम टैक्स के नियमों और सुविधाओं में कई सारे बदलाव उन्हीं के कार्यकाल में हुए.कार्पोरेट से जुड़ीं कई तकनीकी खामियां उनके कार्यकाल में दूर की गईं. इज ऑफ डुइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग सुधरी. सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए स्टार्टअप्स को बड़ी राहत मिली.
ग्रोथ और महंगाई पर कंट्रोल समेत ये चुनौतियां
देश की आर्थिक ग्रोथ जिस गति में बनी हुई है, उस गति को बनाए रखना वित्त मंत्री के तौर पर उनके सामने बड़ी चुनौती होगी.
इसके साथ ही देश में महंगाई को कंट्रोल में रखना भी चुनौती होगी, कारण कि ये देश के हर व्यक्ति से जुड़ा मुद्दा है.
चूंकि देश की इकोनॉमी कृषि आधारित है, ऐसे में इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करना भी वित्त मंत्री के लिए चुनौती होगी.
रोजगार के लिए निजी सेक्टर की ओर से निवेश को बढ़ावा देना जरूरी होगा.
कैपेक्स और डेवलपमेंट स्कीम्स के लिए संसाधन जुटाना जरूरी होगा और इसके लिए विनिवेश (Disinvestment) और एसेट मॉनेटाइजेशन को पुनर्जीवित करना होगा.
GST दरों को और सुविधाजनक बनाने के लिए उनका री-स्ट्रक्चर और कैपिटल गेन टैक्स सहित लंबित डायरेक्ट टैक्स सुधारों पर काम करना होगा.
SBI के साथ मिलकर F&O संबंंधित चिंताओं का सॉल्यूशन निकालने साथ ही शेयर बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करना भी वित्त मंत्रालय के सामने बड़ी चुनौती होगी.
क्रिप्टो एसेट्स के लिए केंद्रीय बैंक RBI के साथ मिल कर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना भी वित्त मंत्रालय के सामने एक बड़ी जवाबदेही है
PM मोदी अपने विदेश सचिव एस जयशंकर के काम से इतने प्रभावित हुए कि 2019 में जब उन्होंने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उन्होंने जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया. एस जयशंकर ने 5 साल तक विदेश मंत्री के तौर पर बखूबी जिम्मेदारी निभाई और अब एक बार फिर उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया है.
इंटरनेशनल रिलेशन्स में महारथ
9 जनवरी 1955 को दिल्ली में जन्मे एस जयशंकर को अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महारथ हासिल है. उनके पिता 'के सुब्रमण्यम' भी सिविल सर्विस में थे, जबकि मां शिक्षक थीं. दिल्ली के स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन तो उन्होंने केमिस्ट्री में किया था, लेकिन इसके बाद साइंस से आर्ट्स में शिफ्ट हो गए. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों (International Relations) में उन्होंने एमफिल और PhD की.
करीब 4 दशक विदेश सेवा में रहे
वो 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और यहां 38 वर्षों से ज्यादा समय दिया. करीब 4 दशक के अपने करियर में वे कई देशों में रहे. 2007 से 2009 तक सिंगापुर में उच्चायुक्त रहे, 2001 से 2004 तक चेक गणराज्य, 2009 से 2013 तक चीन और 2014 से 2015 तक अमेरिका में उनका कार्यकाल रहा.