पिछले दिनों NDTV नेटवर्क पर जब अमित शाह का इंटरव्यू आया तो गिरता बाजार संभल गया. लेकिन अब लगता है कि मंगलवार से ये तेज रफ्तार पकड़ने वाला है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस बार प्रधानमंत्री ने NDTV के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत में कहा है कि 4 जून के बाद बाजार पकड़ में आने वाला नहीं है.
दरअसल पिछले दिनों बाजार में बड़ी गिरावट आई. विदेशी निवेशकों ने सिर्फ मई में ₹28,242 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. इतनी बड़ी बिकवाली का असर शेयर बाजार पर पड़ा और ये गिर गया.
बाजार के एक्सपर्ट्स ने इस गिरावट का राजनीतिक अर्थ निकाला, उनका मानना है कि कि मोदी सरकार की जीत तो होगी मगर उतनी बड़ी नहीं जितने का दावा किया जा रहा है. मगर प्रधानमंत्री ने सभी दलीलों को खारिज कर दिया और इस बार रिकॉर्ड ऐतिहासिक जीत का दावा किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल में सेंसेक्स ने 25 से 75 हजार तक की जोरदार छलांग लगाई है और ये सफर आगे भी इसी रफ्तार से जारी रहेगा.
उन्होंने इस बातचीत में देश के आंत्रप्रेन्योर्स और शेयर बाजार की आशंकाओं को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि जिन्हें लगता है कि सरकार कम सीटों से जीतेगी, उन्हें हैरानी होगी.
"सरकार ने बहुत सारे इकोनॉमिक और प्रो-आंत्रप्रेन्योरशिप रिफॉर्म्स किए हैं. हमने सेंसेक्स के 25,000 से यात्रा शुरू की थी अब 75,000 पर पहुंचे हैं. जितने ज्यादा आम नागरिक शेयर बाजार में आते हैं, इकोनॉमी को उतना बड़ा बल मिलता है. मैं चाहता हूं कि हर नागरिक में जोखिम लेने की क्षमता बढ़नी चाहिए. 4 जून को जिस दिन चुनाव का नतीजा आएगा, आप इस हफ्ते भर में देखना, भारत का शेयर मार्केट कहां जाता है, उनके प्रोग्रामिंग वाले सारे थक जाएंगे."नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने सरकारी कंपनियों पर भी खुलकर बात की. PSUs के शेयरों में पैसे लगाकर लोग मालामाल हो गए हैं. कई सरकारी कंपनियों के शेयर पिछले दो साल में 10 गुने से ज्यादा बढ़ गए हैं.
PM ने कहा कि सरकार ने PSUs का रिफॉर्म किया है. उनके शब्दों में "PSUs का पहले मतलब ही होता था गिरना, अब स्टॉक मार्केट में इनकी वैल्यू कई गुना बढ़ रही है. HAL को ही देख लीजिए,जिसे लेकर इन लोगों ने जुलूस निकाला, मजदूरों को भड़काने की कोशिश की, आज HAL ने चौथी तिमाही में रिकॉर्ड प्रॉफिट दर्ज किया है. मैं मानता हूं कि ये एक बहुत बड़ी प्रगति है."
शेयर बाजार को वित्तीय घाटा पसंद नहीं है. प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि उनकी गारंटियों का मतलब ये नहीं कि देश का वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा सरकार हर काम अपनी आमदनी के हिसाब से ही करेगी. उन्होंने कहा कि वो फाइनेंशियल डिसिप्लिन के बहुत बड़े समर्थक हैं. बिना वित्तीय अनुशासन के कोई देश सही से चल नहीं सकता.
प्रधानमंत्री के शब्दों में "आपने देखा होगा, चुनाव के पहले मेरा बजट आया, ये चुनाव के साल का बजट है. आप कुछ पुराने आर्टिकल देखें, जिनमें लिखा होता था कि मोदी रेवड़ियां बांटेगा, चुनाव जीतेगा. जब बजट आ गया, तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि ये तो चुनावी बजट है ही नहीं."