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Modi 3.0 Cabinet: विदेश की दो मुलाकातों में इम्‍प्रेस हुए थे PM मोदी, अब दूसरी बार विदेश मंत्री बनाए गए जयशंकर

एस जयशंकर ने 5 साल तक विदेश मंत्री के तौर पर बखूबी जिम्‍मेदारी निभाई और अब एक बार फिर उन्‍हें विदेश मंत्री बनाया गया है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी07:17 PM IST, 10 Jun 2024NDTV Profit हिंदी
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कहावत है कि असली हीरे की परख तो जौहरी ही करता है. केंद्रीय कैबिनेट में शामिल एस जयशंकर नाम के हीरे की परख, नरेंद्र मोदी नाम के जौहरी को शायद 13 साल पहले ही हो गई थी. नहीं तो, नटवर सिंह के बाद दूसरे राजनयिक 2019 में अचानक से विदेश मंत्री नहीं बन जाते.

2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, उस वक्‍त उन्‍होंने चीन का दौरा किया था. उस वक्‍त एस जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे. पहली बार दोनों की मुलाकात वहीं हुई थी. जयशंकर वहां 3 साल तक राजदूत रहे, जो कि चीन में किसी भारतीय राजनयिक का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है.

नरेंद्र मोदी की जयशंकर से दूसरी मुलाकात तब हुई जब वो प्रधानमंत्री बन चुके थे. साल था- 2014. PM मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे. उस दौरान जयशंकर अमेरिका में राजदूत थे. मैडिसन स्‍क्‍वायर पर आयोजित कार्यक्रम के शानदार आयोजन के पीछे उनका अहम रोल रहा था.

इन दो मुलाकातों में PM मोदी, जयशंकर से प्रभावित हुए और 2019 में जब उन्‍होंने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उन्‍हें विदेश मंत्रालय पोर्टफोलियो देते हुए 'मोदी 2.0' कैबिनेट में शामिल किया. एस जयशंकर ने 5 साल तक विदेश मंत्री के तौर पर बखूबी जिम्‍मेदारी निभाई और अब एक बार फिर उन्‍हें विदेश मंत्री बनाया गया है.

इंटरनेशनल रिलेशन्‍स में महारथ

9 जनवरी 1955 को दिल्‍ली में जन्‍मे एस जयशंकर को अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों में महारथ हासिल है. उनके पिता 'के सुब्रमण्‍यम' भी सिविल सर्विस में थे, ज‍बकि मां शिक्षक थीं. दिल्‍ली के स्‍टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन तो उन्‍होंने केमिस्‍ट्री में किया था, लेकिन इसके बाद साइंस से आर्ट्स में शिफ्ट हो गए. उन्‍होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से पॉलिटिकल साइंस में पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों (International Relations) में उन्‍होंने एमफिल और PhD की.

करीब 4 दशक विदेश सेवा में रहे

वो 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और यहां 38 वर्षों से ज्‍यादा समय दिया. करीब 4 दशक के अपने करियर में वे कई देशों में रहे. 2007 से 2009 तक सिंगापुर में उच्चायुक्त रहे, 2001 से 2004 तक चेक गणराज्य, 2009 से 2013 तक चीन और 2014 से 2015 तक अमेरिका में उनका कार्यकाल रहा.

बहुभाषी, मृदुभाषी, लेखक, पद्मश्री अवार्डी

ब्यूरोक्रेट से पॉलिटिशियन बने सुब्रमण्‍यम जयशंकर गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं. मृदुभाषी जयशंकर ने जापानी मूल की 'क्योको' से शादी की है और उनके दो बेटे (ध्रुव और अर्जुन) और एक बेटी (मेधा) है.

कई भाषाओं के जानकार जयशंकर में और भी कई खासियतें हैं.

  • जयशंकर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा रूसी, तमिल, संवादी जापानी और कुछ हंगेरियन भाषाएं जानते हैं.

  • वर्ष 2019 में उन्‍हें देश का चौथा सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान पद्मश्री से सम्‍मानित किया जा चुका है.

  • पाकिस्‍तान, कनाडा और चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों पर सख्‍त रुख के चलते भी वो चर्चा में रहे हैं.

  • भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत करने में जयशंकर की अहम भूमिका रही है.

  • जयशंकर की पहचान ऑथर के तौर पर भी है, वे भारत पर केंद्रित कई किताबें लिख चुके हैं.

  • 2020 में लिखी 'द इंडिया वे' और 2024 में आई 'व्‍हाई भारत मैटर्स' काफी चर्चा में रही हैं.

विदेश सेवा से रिटायर होने के बाद जयशंकर, टाटा संस के ग्‍लोबल कॉर्पोरेट अफेयर्स चेयरमैन के रूप में काम कर रहे थे. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद PM मोदी ने उन्‍हें बुलाया और देश का विदेश मंत्री बना दिया. आम लोगों में भी जयशंकर लोकप्रिय हैं. PM मोदी ने उन पर एक बार फिर विश्‍वास जताया है.

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