आंध्र प्रदेश को अपनी नई नवेली राजधानी अमरावती (Amaravati) के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से स्पेशल पैकेज मिल सकता है. NDTV Profit को नाम न बताए जाने की शर्त पर सूत्रों से इसकी जानकारी मिली है. केंद्र सरकार के निर्माण में मौजूदा आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने वाली TDP का बड़ा योगदान है, जिसके बदले आंध्र प्रदेश को अमरावती के विकास के लिए बड़ी वित्तीय सहायता मिल सकती है.
NDA के दो घटक सदस्य, JDU और TDP क्रमशः बिहार और आंध्र प्रदेश में अपनी सरकार चला रहे हैं. दोनों ने ही अपने प्रदेश को 'विशेष राज्य' का दर्जा दिलाने की डिमांड की है. किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा एक ऐसी अवधारणा है, जो 2014 में प्लानिंग कमीशन के भंग होने के बाद ही अस्तित्व से बाहर हो गई. वहीं, 14वें वित्ता आयोग की रिपोर्ट ने इस प्रावधान को खत्म कर दिया.
लोकसभा चुनाव 2024 में 293 सीट पाने वाली NDA में TDP के 16 सांसद सदस्य रहे हैं. TDP ने मोदी 3.0 के दौरान आंध्र प्रदेश के लिए 'विशेष राज्य' का दर्जा दिए जाने की डिमांड की है. इसमें नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को राजधानी अमरावती को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय सहायता मिल सकती है.
ये भी ध्यान देने वाली बात है कि YSRCP के जगन मोहन रेड्डी ने भी अमरावती को निर्माण के लिए विशेष वित्तीय सहायता की मांग की थी, लेकिन उनकी इस डिमांड को खारिज कर दिया गया था.
NDTV Profit से बातचीत में डॉ. BR अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति NR भानुमूर्ति ने कहा, 'हम बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे को मामले को मिक्स नहीं कर सकते'. उन्होंने कहा, 'बिहार को वित्त आयोग के अनुदान के तहत मुआवजा दिया जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश के साथ ऐसा कोई मामला नहीं है'.
भानुमूर्ति ने कहा कि अमरावती के निर्माण के लिए आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे के रूप में वित्तीय सहायता मिल जाए, जिसके लिए राष्ट्रपति ने अनुमति दे दी है और इसे संसद से भी पास करा लिया गया है.
मामले से जुड़े सूत्र के मुताबिक, आंध्र प्रदेश रीऑर्गनाइजेशन एक्ट में प्रदेश की राजधानी के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता को जोड़ा गया था, लेकिन इसको उस दौरान जारी नहीं किया गया था.
FY21 के लिए CAG की 2023 कंप्लायंस रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश ने इसके बारे में विस्तार से बताया था. प्रदेश सरकार के लिए जमीन का अधिग्रहण करना अपने आप में भारी वित्तीय बोझ था. इसने वित्तीय संसाधनों के होने के बावजूद बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं की अधूरी स्थिति पर भी चिंता जताई थी.
भानुमूर्तिन ने NDTV Profit से कहा कि मंत्रालयों के सहयोग के चलते फंडिंग पहुंचने में इस बार परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
स्पेशल कैटेगरी स्टेटस के अंतर्गत केंद्र सरकार की योजनाओं में सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम में केंद्र और राज्य की 90:10 की भागीदारी रहती थी. यानी कि ग्रांट में दिया जाने वाले हिस्से में 90% भागीदारी सरकार की होती थी.
'स्पेशल कैटेगरी स्टेटस' देने से मिलता-जुलता ट्रीटमेंट ये दिया जा सकता है कि शेयरिंग का पैटर्न लगभग मिलता-जुलता हो और केंद्र सरकार की बड़ी हिस्सेदारी हो. हालांकि, अगर ऐसा हुआ तो दूसरे राज्य भी अपने लिए इसी तरह की डिमांड कर सकते हैं, जो केंद्र के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.