वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) गुरुवार को लोकसभा में इकोनॉमी पर व्हाइट पेपर (White Paper) पेश कर दिया है. इसमें मोदी सरकार के 10 साल के कामकाज और उपलब्धियों का विस्तार से बखान है.
69 पन्नों के इस व्हाइट पेपर के 3 हिस्से हैं. सरकार ने इसमें 2014 से पहले और 2014 के बाद भारत की अर्थव्यवस्था के फर्क को बताया है. मोदी सरकार का मानना है कि UPA ने 2004 से लेकर 2014 तक के कार्यकाल में इकोनॉमी का भट्ठा बैठाकर इसे नॉन-परफॉर्मिंग बना दिया है. इसमें बताया गया है कि UPA के काम करने के गलत तरीके, फैसले नहीं लेने और ठोस रिफॉर्म नहीं करने से देश की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी.
मोदी सरकार के मुताबिक 2014 से पहले देश का बैंकिंग सेक्टर संकट में था. बिना जांच-पड़ताल किए लोन देने से बैंकों का NPA बहुत बढ़ गया था. इसका खामियाजा पूरी इकोनॉमी को उठाना पड़ा. बैंकों के NPA को साफ करने में मोदी सरकार को सालों का वक्त लगा.
इस व्हाइट पेपर में बताया गया है कि 2014 के बाद मोदी सरकार ने इकोनॉमी में दम भरने के लिए क्या-क्या कड़े और बड़े फैसले लिए हैं.
डिजिटाइजेशन में बड़ी कामयाबी. डिजिटल ID से लेकर डिजिटल एक्सेस के आधार पर सभी सेवाएं और सपोर्ट दी गईं
चालू खाते में इनफ्लो सुधरने से फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में बढ़ोतरी. चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) और महंगाई दोनों में बड़ी गिरावट
मध्यम अवधि में 7% की ग्रोथ रहने की उम्मीद, रिफॉर्म से फायदे मिलने लगे हैं
कॉरपोरेट और फाइनेंशियल सेक्टर की बैलेंस शीट में सुधार, NBFCs की बैलेंस शीट भी बेहतर हुई
महंगाई को केंद्र में रखकर मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेमवर्क बनाना, GST और IBC को लागू करना
फॉरेन इन्वेस्टमेंट निवेश में उदारीकरण से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला
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लार्ज कैपिटल इनफ्लो से RBI को महामारी के दौरान अपने अंतरराष्ट्रीय रिजर्व को दोबारा भरने में मदद मिली
कैपिटल इनफ्लो से नेट इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट रैंकिंग को सुधारने में मदद मिली
बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश से अर्थव्यवस्था में सप्लाई की स्थिति बेहतर हुई, आंकड़ों में ये दिखता है.