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BJP के लिए मुसलमानों की धारणा बदलने की बड़ी कवायद

दानिश आजाद अंसारी, बुक्कल नवाब, मोहसिन रजा और तारिक मंसूर BJP की ओर से विधान परिषद में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सदन में कुल 6 सदस्य मुसलमान हैं, जिनमें 4 BJP से हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:56 AM IST, 14 Apr 2023NDTV Profit हिंदी
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विश्वविख्यात अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (AMU) के वाइस चांसलर (Vice Chancellor) तारिक मंसूर को विधानपरिषद में जगह देकर BJP ने मुस्लिम समुदाय में बड़ा संदेश दिया है. तारिक पसमंदा मुसलमान हैं जिन्हें जोड़ने के लिए BJP खास रणनीति पर अमल कर रही है.

देश के मुसलमानों को संदेश देना हो तो उत्तर प्रदेश से बेहतर कोई प्रदेश नहीं हो सकता. देश का सबसे बड़ा प्रदेश है उत्तर प्रदेश जहां सबसे ज्यादा मुसलमान रहते हैं. यूपी के ऊपरी सदन में अब BJP के 4 MLC हो गये हैं.

किसी पार्टी ने मुस्लिम समुदाय पर कभी इतना ‘उपकार’ नहीं किया था. दानिश आजाद अंसारी, बुक्कल नवाब, मोहसिन रजा और तारिक मंसूर BJP की ओर से विधान परिषद में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सदन में कुल छह सदस्य मुसलमान हैं जिनमें 4 BJP से हैं. इस वक्त 100 सदस्यों वाली यूपी विधान परिषद में 80 सदस्य BJP के हैं. पार्टी दो और सदस्यों को नॉमिनेट कर सकती है.

पार्षद ही नहीं मंत्री भी बनेंगे AMU के पूर्व VC!

अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (AMU) के वाइस चांसलर अगर विधान परिषद का सदस्य बनें तो यह सियासत में उनका कदम माना जा सकता है लेकिन आम समझ के हिसाब से यह तारिक अंसारी का ‘आगे बढ़ना’ नहीं माना जा सकता. अगर वे मंत्री हो जाएं तो? तब बिल्कुल ऐसा ही माना जाएगा कि तारिक अंसारी सियासत में सम्मानित जगह पर ताजपोश हुए हैं. वास्तव में मोहसिन रजा और बुक्कल नवाब इसी वर्ष विधान परिषद से रुखसत हो रहे हैं. ऐसे में योगी मंत्रिपरिषद में भी तारिक अंसारी के लिए सुनिश्चित होती जगह देखी जा सकती है.

यूपी में 20% आबादी मुसलमानों की है. मगर, सदन में उनकी मौजूदगी इस हिसाब से कतई नहीं है. 2022 में 34 मुस्लिम विधायक चुने गये थे. इनमें से कोई भी BJP या बीजेपी गठबंधन से नहीं था. सभी विधायक समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन से चुने गये थे. अकेले समाजवादी पार्टी से 31 मुस्लिम विधायक निर्वाचित हुए. वहीं, RLD से दो और एक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से थे. हालांकि, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अब समाजवादी पार्टी से अलग हो चुकी है. आजम खान और अब्दुल्ला आजम अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं.

‘राम’पुर ने बदला परिदृश्य!

अयोध्या और श्री राम के नाम पर सियासत करती रही BJP की सियासत को बदलने का काम भी दरअसल ‘राम’पुर ने ही किया है. BJP ने उप-चुनाव में रामपुर जैसी मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट पर कब्जा जमाकर भी बड़ा संदेश दिया था. आजम खान के गढ़ में सेंधमारी का जिक्र स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सार्वजनिक रैली में की थी.

इसकी बड़ी वजह BJP की ओर से पसमंदा मुसलमानों के बीच चलाई जा रही मुहिम है. बौद्धिक जगत में मुस्लिम विद्वानों के बीच लगातार संपर्क कर RSS और BJP पसमंदा मुसलमानों के बीच अपनी पैठ मजबूत कर रही है. BJP का लक्ष्य देश में आम चुनाव से पहले तक 5 करोड़ मुस्लिम लोगों तक अपनी पहुंच को मजबूत करना है.

BJP इस नैरेटिव को उलटने में लगी है कि पार्टी मुसलमानों को टिकट नहीं देती. BJP का कहना है कि चूकि मुस्लिम उम्मीदवार BJP के टिकट पर जीत नहीं पाते, इस वजह से यह फैसला लेना पड़ा है. वास्तव में BJP मुसलमानों के विरोध में नहीं है.

वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे का उल्लेख भी यह बताने में करती है कि मुसलमान भी इसमें शामिल हैं. देशभर में 37 कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए भी BJP का दावा है कि इनके लाभार्थियों में बड़ी संख्या में मुसलमान हैं.

BJP का साफ संदेश, मुसलमानों से परहेज नहीं है

विधान परिषद में मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका देना BJP की ओर से यह नैरेटिव खड़ा करना है कि मुसलमानों का साथ मिले या नहीं मिले, लेकिन वह उनके साथ भेदभाव नहीं करेगी. एक बार अगर यह संदेश देने में BJP कामयाब हो जाती है तो मुसलमानों का वह तबका पार्टी से जुड़ने में संकोच नहीं करेगा जो यह मानता है कि सेकुलर जमात ने सिर्फ मुसलमानों का राजनीतिक इस्तेमाल किया है. तुष्टिकरण मुसलमानों के हक में नहीं है और इस किस्म की सियासत से बाहर निकलने की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश BJP के लिए मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के ख्याल से प्रयोगशाला है. यहां 44 हजार से ज्यादा बूथ हैं जहां पसमंदा मुसलमानों का प्रभाव है. BJP की कोशिश है कि मुसलमानों के वोट बैंक में विभाजन करते हुए सेंधमारी की जाए.

अभी विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से समाजवादी पार्टी के पक्ष में मुसलमानों ने वोट किया था, उसमें अगर फर्क ला दिया गया तो लोकसभा चुनाव में 80 में से 65 सीटों के वर्चस्व को और मजबूत किया जा सकता है.

एक बार अगर में यूपी में मुसलमान BJP से सटे तो पूरे देश की सियासत बदल जाएगी. देश ही नहीं दुनिया में भी BJP की हिन्दूवादी पार्टी वाली छवि में बदलाव आ जाएगा. यूपी की विधानपरिषद में मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने की पहल करके BJP ने भारतीय सियासत में बड़ी हलचल पैदा कर दी है. 2024 के आम चुनाव को देखते हुए इस पहल की बहुत अहमियत है और इसने मुसलमानों को अपना वोट बैंक मान कर चलने वाली सियासी पार्टियों के माथे पर शिकन पैदा कर दिया है.

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