प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर चर्चा के बाद जवाब के दौरान विकसित भारत के निर्माण के लिए 11 संकल्प सामने रखे. कर्तव्यों के पालन, संविधान और कानून के सम्मान से लेकर आरक्षण, राजनीति में परिवारवाद से मुक्ति और एक भारत, श्रेष्ठ भारत के ध्येय जैसे संकल्पों को सदन पटल पर रखते हुए उन्होंने कहा कि देश जब आजादी के 100वें साल का जश्न मनाएगा तो विकसित भारत के रूप में मनाएगा.
उन्होंने कहा, इन संकल्पों के साथ अगर हम सब मिलकर आगे बढ़ते रहें तो 140 करोड़ भारतवासियों का सपना जरूर पूरा होगा.
पहला संकल्प: चाहे नागरिक हो या सरकार, सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें
दूसरा संकल्प: हर क्षेत्र, हर समाज को विकास का लाभ मिले, सबका साथ सबका विकास हो
तीसरा संकल्प: भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो, भ्रष्टाचारियों की सामाजिक स्वीकार्यता न हो
चौथा संकल्प: देश के नियम-कानून, देश की परंपराओं के पालन में नागरिकों को गर्व हो
पांचवा संकल्प: गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो
छठा संकल्प: देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले
सातवां संकल्प: संविधान का सम्मान हो, राजनीतिक स्वार्थ के लिए इसे हथियार न बनाया जाए
आठवां संकल्प: किसी से आरक्षण न छीना जाए, धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे
नौवां संकल्प: वीमेन लेड डेवलपमेंट में भारत दुनिया के लिए मिसाल बने
दसवां संकल्प: राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास, ये हमारे विकास का मंत्र हो
ग्यारहवां संकल्प: एक भारत, श्रेष्ठ भारत का ध्येय सर्वोपरि हो
प्रधानमंत्री ने राजनीति में परिवारवाद पर हमला करते हुए सवाल उठाया, 'क्या इस देश में योग्य नेतृत्व को अवसर नहीं मिलना चाहिए? जिनके परिवार से पहले कोई राजनीति में नहीं रहे, क्या ऐसे युवा को राजनीति में नहीं आने चाहिए?'
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए सभी दलों को प्रयास करना चाहिए. देश को फ्रेश एयर, स्वस्थ ऊर्जा की जरूरत है. मैंने लाल किले से भी कहा है, एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना है, जिनका कोई राजनीतिक बैक्ग्राउंड न हो.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार समान नागरिक संहिता लाने के लिए पूरी ताकत से लगी हुई है. उन्होंने कहा, 'समान नागरिक संहिता पर भी संविधान सभा ने चर्चा की थी. निर्णय किया कि जो भी सरकार चुन कर आए, इसे लागू करे. बाबा साहेब आंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म किए जाने की जोरदार वकालत की थी. उस समय के सदस्य KM मुंशी ने राष्ट्र की एकता और आधुनिकता के लिए जरूरी बताया था.'
आगे उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा था कि देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. इसलिए संविधान और संविधान निर्माताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हम पूरी ताकत से लगे हुए हैं, यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए. कांग्रेस इन भावनाओं का अनादर कर रही है.'