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Rajasthan Results Analysis: राजस्‍थान में खिला कमल! जानिए BJP की जीत और कांग्रेस की हार की बड़ी वजहें

हिंदुत्‍व कार्ड, मोदी मैजिक, भ्रष्‍टाचार पर वार और दिग्‍गजों को मैदान में उतारने की नीतियों की बदौलत BJP ने यहां कमाल कर दिखाया है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी06:51 PM IST, 03 Dec 2023NDTV Profit हिंदी
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Rajasthan Assembly Elections Results Analysis: राजस्थान विधानसभा चुनाव में जनता ने रोटी पलट दी है और 1993 के बाद से चले आ रहे रिवाज को जारी रखा है. अब तक आए रुझानों में काफी हद तक तस्‍वीर साफ हो चुकी है. कांग्रेस की हार के साथ ही अशोक गहलोत से CM की कुर्सी छिन गई है और यहां BJP सत्ता में वापसी कर रही है.

अशोक गहलोत ने अपनी हार स्‍वीकार ली है और उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा गवर्नर को सौंप दिया है. इस्‍तीफा देने से पहले उन्‍होंने कहा, 'राजस्थान की जनता द्वारा दिए गए जनादेश को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं.' उन्‍होंने नई सरकार को अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं.

BJP की जीत के अहम फैक्‍टर्स

हिंदुत्‍व कार्ड, मोदी मैजिक, भ्रष्‍टाचार पर वार और दिग्‍गजों को मैदान में उतारने की नीतियों की बदौलत BJP ने यहां कमाल कर दिखाया है. यहां हम कुछ मुख्‍य वजहों पर चर्चा करते हैं.

मोदी मैजिक

राजस्‍थान में BJP की जीत में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है- मोदी मैजिक ने. देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भी मानने लगी है कि भारत की सियासत में PM नरेंद्र मोदी एक बड़ा ब्रैंड हैं. किसी भी चुनाव में उनका नाम जीत तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है. राजस्‍थान में BJP को 'मोदी मैजिक' का खूब फायदा मिला. मैदान में PM मोदी उतरे, तो समीकरण ही बदल डाला.

कांग्रेस के OBC फेस के आगे BJP का OBC फेस भारी पड़ा. वैसे भी PM मोदी के नाम पर हर जाति और वर्ग का समर्थन, BJP को मिलता रहा है. अक्‍टूबर में NDTV ने जो ओ‍पिनियन पोल कराया था, उसमें राजस्‍थान की 55% जनता ने नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt.) के काम से पूरी तरह संतुष्टि जताई थी.

हिंदुत्व कार्ड

BJP के लिए हिंदुत्‍व हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है. राजस्‍थान में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर BJP ने इसे खूब भुनाया. खासकर कन्‍हैयालाल हत्‍याकांड के बाद पार्टी आक्रामक नजर आई. वहीं दूसरी ओर नाथ संप्रदाय से जुड़े बाबा बालकनाथ को चुनाव में पार्टी ने खूब अहमियत दी. मस्तनाथ मठ के आठवें महंत बालकनाथ OBC वर्ग से आते हैं, जिन्‍हें पार्टी ने तिजारा से चुनाव में उतारा. राजस्‍थान का 'योगी' कहे जाने वाले बालकनाथ को CM फेस भी माना जा रहा है.

भ्रष्‍टाचार पर वार

राजस्थान में BJP ने भ्रष्‍टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया. ये BJP की जीत का अहम फैक्टर रहा. BJP ने गहलोत सरकार में पेपर लीक और भ्रष्टाचार से जुड़े अन्‍य मुद्दों को प्रमुखता से उठाया. सियासत से जुड़ी लाल डायरी का मुद्दा भी खूब चर्चा में रहा. गहलोत सरकार से बर्खास्‍त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा लाल डायरी लेकर विधानसभा में पहुंचे थे और मुख्‍यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए थे. BJP ने इसे खूब उछाला. गहलोत सरकार ने जवाब देने के बावजूद जनता ने BJP पर भरोसा जताया.

मैदान में दिग्‍गज

BJP ने इस बार सांसद और मंत्री समेत कई दिग्‍गजों को चुनावी मैदान में उतारा. सांसदों में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (पूर्व केंद्रीय मंत्री), बाबा बालकनाथ, दिव्या कुमारी, किरोड़ीमल मीणा, देवजी पटेल चुनावी मैदान में उतरे और BJP सरकार के विकास कार्यों का खूब प्रचार किया. 'सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' मंत्र भी काम आया. जनता ने दिग्‍गजों को मैदान में उतारने की रणनीति को खूब पसंद किया.

इन रणनीतियों की बदौलत BJP राजस्‍थान फतह करती दिख रही है.

कांग्रेस के लिए 'विलेन' साबित हुए ये फैक्टर्स

राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे कई वजहें दिख रही हैं. पार्टी में गुटबाजी और अंदरुनी कलह कांग्रेस को ले डूबी. भ्रष्‍टाचार और अन्‍य कई मुद्दों पर गहलोत सरकार अपने जवाबों से जनता को संतुष्‍ट नहीं कर सकी. यहां कुछ मुख्‍य कारणों पर चर्चा करते हैं.

पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अंदरूनी गुटबाजी से काफी नुकसान हुआ. पार्टी में अशोक गहलोत के गुट और सचिन पायलट के गुट में लड़ाई सार्वजनिक हुई और फिर लंबे समय तक तकरार चलती रही. इस गुटबाजी का असर पार्टी कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा और जनता पर भी. पायलट, अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे. बाद में भले ही दोनों के बीच समझौता हो गया, लेकिन पूरे चुनाव में गहलोत और पायलट के बीच दूरियां बनी रही. पार्टी को इसका खामियाजा उठाना पड़ा.

हिंदुत्‍व पर पिछड़ी पार्टी

कांग्रेस की गहलोत सरकार BJP के हिंदुत्व कार्ड की काट नहीं खोज पाई. BJP ने कन्हैयालाल हत्याकांड को मुद्दा बनाया तो कांग्रेस सरकार कोई जवाब नहीं दे पाई. कांग्रेस के पास हिंदुत्‍व का कोई चेहरा भी नहीं था, जो नाथ संप्रदाय के बाबा बालकनाथ (BJP) के सामने ठहर सके. कांग्रेस हिंदुत्‍व के मुद्दे पर प्रदेश में ध्रुवीकरण रोकने में नाकाम रही और पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा.

हवा हुईं योजनाएं और दावे

CM अशोक गहलोत ने कई लुभावनी योजनाएं लागू की. हिमाचल प्रदेश की तरह यहां भी चुनाव में कांग्रेस ने 7 गारंटियां लॉन्च की. चिरंजीवी योजना की सीमा बढ़ाकर 50 लाख करने का वादा किया. लेकिन BJP की संचार-शैली (Communication Style) के मुकाबले देखा जाए तो कांग्रेस जनता को इन योजनाओं और दावों के फायदे बताने में बहुत सफल नहीं हो पाई.

राजस्‍थान के CM अशोक गहलोत ने भी ये बात मानी. उन्‍होंने कहा, 'ये हार दिखाती है कि हम अपनी योजनाओं, कानूनों और नवाचारों को जनता तक पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं रहे.'

अब तक आए परिणामों में स्‍पष्‍ट हो गया कि सूबे के लोगों ने गहलोत पर भरोसा नहीं जताया और कांग्रेस के 'हाथ' को साथ देने की बजाय अपने हाथ पीछे खींच लिए.

ये जीत PM मोदी की गारंटी की जीत: वसुंधरा राजे

झालरापाटन सीट से जीत दर्ज कर चुकीं पूर्व मुख्‍यमंत्री और BJP लीडर वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi), गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और अध्‍यक्ष JP नड्डा को दिया है.

वसुंधरा राजे ने कहा, 'जनता ने कांग्रेस के कुशासन को नकार दिया है. राजस्थान की ये शानदार जीत हमारे PM मोदी के मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' की जीत है. ये जीत उनकी दी हुई 'गारंटी' की जीत है.' उन्‍होंने इस जीत को अमित शाह की रणनीति और JP नड्डा के कुशल नेतृत्व की जीत बताया है.

हमारे कामों को आगे बढ़ाए नई सरकार: गहलोत

अशोक गहलोत ने कहा, 'मैं नई सरकार को शुभकामनाएं देता हूं. मेरी उनको सलाह है कि हम काम करने के बावजूद कामयाब नहीं हुए इसका मतलब ये नहीं कि वो सरकार में आने के बाद काम ही ना करें.'

उन्‍होंने आगे कहा, 'OPS, चिरंजीवी सहित तमाम योजनाएं और जो विकास की रफ्तार इन 5 सालों में राजस्थान को हमने दी है वो इसे आगे बढ़ाएं.' उन्‍होंने चुनाव के लिए मेहनत करने के लिए सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और वोट देने के लिए मतदाताओं का धन्‍यवाद किया.

कौन बनेगा मुख्‍यमंत्री?

राजस्थान में BJP ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा, जबकि CM फेस का ऐलान नहीं किया. पिछले चुनाव में एंटी इनकमबेंसी और जनता की नाराजगी के कारण वसुंधरा राजे को हार का सामना करना पड़ा था. बहरहाल दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा इस बार भी वो CM पद की रेस में हैं.

दूसरे नंबर पर हैं- महंत बाबा बालकनाथ, जिन्‍हें राजस्‍थान का 'योगी' कहा जा रहा है. NDTV के सर्वे में 13% लोगों ने उन्‍हें बतौर CM पसंद किया था. वहीं, ‘इंडिया टुडे- एक्सिस माय इंडिया’ के सर्वे के मुताबिक भी बालकनाथ को लोग वसुंधरा राजे से ज्यादा पसंद कर रहे हैं. वे मस्तनाथ मठ के 8वें महंत हैं.

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कानून राज्‍यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, प्रदेश अध्‍यक्ष CP जोशी और राजकुमारी दीया कुमारी का भी नाम चर्चा में है. इस संबंध में पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्‍यवर्धन सिंह राठौर का बयान सामने आया है. उन्‍होंने कहा, 'पार्टी लीडरशिप को ये तय करना है. हर चीज सही समय पर होती है. मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी फैसला करेगी.'

Video: क्या है BJP की जीत का फॉर्मूला, क्यों हारी कांग्रेस?

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