मोदी सरनेम केस (Modi Surname Case) में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी बड़ी राहत देते हुए उनकी दो साल की सजा पर रोक लगा दी. इस सजा के चलते राहुल जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के दायरे में आ गए थे और उनकी सांसदी चली गई थी. राहुल गांधी को सजा के तर्क के विरोध में कई तर्क दिए गए, जिनमें एक अहम तर्क था कि इस सजा से उन्हें वोट देने वालों के अधिकारों का हनन होगा.
समर्थक और पार्टी चाहे जितने खुश हों, लेकिन खुद राहुल (Rahul Gandhi) बहुत संयमित दिखे. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'चाहे जो कुछ भी हो, मेरा फर्ज वही रहेगा-आइडिया ऑफ इंडिया की हिफाजत.'
मतलब भविष्य में विवादित टिप्पणी के लिए राहुल को सजा का अंदेशा है. फिर भी वे अपने बयान को फर्ज से जोड़ते हुए इसे देश के लिए अपना कर्त्तव्य बता रहे हैं. लेकिन, क्या ये संदेश जनता में पैठ बना पाएगा.
कांग्रेस राहुल गांधी को पहले शहीद के तौर पर पेश करने की कोशिश में थी. कांग्रेस संदेश पहुंचाना चाह रही थी कि उन्हें राजनीतिक मकसदों के लिए शिकार बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहमियत समझनी हो तो इसे ऐसे देखें कि अगर राहुल गांधी की सजा बहाल रहती तो क्या होता? राहुल गांधी को 2 साल के लिए जेल जाना पड़ता. अगले 6 साल तक वे चुनाव नहीं लड़ पाते. यानी कुल 8 साल तक संसदीय राजनीति से दूर रहते राहुल गांधी. अब ये सब नहीं होगा. इसका तत्काल असर विपक्षी दल के प्लेटफॉर्म I.N.D.I.A पर दिखने वाला है. फिलहाल जारी मॉनसून सत्र में राहुल गांधी की वापसी होगी. विपक्ष नए तेवर के साथ NDA के सामने खड़ा दिखेगा.
साइकोलॉजिकल तौर पर राहुल गांधी की सदन में मौजूदगी BJP पर दबाव बनाएगी. एक ऐसे समय में जब महाराष्ट्र में I.N.D.I.A की अगली बैठक होनी है और अहम घटक दल NCP के नेता शरद पवार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सार्वजनिक मंच पर सम्मानित कर रहे हैं, नीतीश कुमार समेत कई दूसरे नेता बहुत सहज नहीं हैं, राहुल गांधी की नए अवतार में मौजूदगी से विपक्षी गठबंधन मजबूत होगा. I.N.D.I.A के सभी घटक दलों ने राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, इससे विपक्ष बहुत संगठित नजर आ रहा है.
लोकसभा चुनाव से पहले जिन पांच राज्यों में मतदान होने हैं, वहां कांग्रेस मजबूत मनोबल के साथ दिखेगी. राहुल गांधी की मौजूदगी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगी. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में अगर कांग्रेस मजबूत प्रदर्शन करती है तो इसका सारा श्रेय भी राहुल गांधी ले जाएंगे. इससे राहुल गांधी का कद बढ़ेगा और यही कद 2024 में BJP के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
BJP अब तक कहती रही है कि राहुल गांधी के रूप में उसके सामने कमजोर चुनौती है. लेकिन अब स्थिति बदली नजर आ रही है. अब BJP चाहकर भी राहुल गांधी से छुटकारा नहीं पा सकती. राहुल गांधी कांग्रेस ही नहीं, पूरे विपक्ष का नेतृत्व करते दिखने लगे हैं. न सिर्फ वैचारिक रूप से, बल्कि वे राजनीतिक कार्यक्रमों को भी अमलीजामा पहनाते हुए नजर आते हैं.
कहा जा रहा है कि विपक्ष के गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा जाना भी राहुल गांधी के दिमाग की उपज थी, जिसका प्रस्ताव ममता बनर्जी ने रखा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी ने सबसे पहले लालू प्रसाद से उनके घर जाकर मुलाकात की. बिहार में जातीय जनगणना को अदालत से हरी झंडी मिलने के बाद इस मुलाकात की अहमियत और बढ़ गई है. ये कहना गलत नहीं होगा कि लगातार अदालती फैसलों ने विपक्ष को एकजुट होने का अवसर दिया है.