प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं. शनिवार को उन्होंने क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. आज PM मोदी के दौरे का आखिरी दिन है. अपने इस तीन के दौरे में PM मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन से मुलाकात की. बाइडेन ने भारत के उस दावे का समर्थन किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का रिफॉर्म होना चाहिए.
भारत कहता रहा है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए इस ग्रुप में बदलाव की जरूरत है. जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता भी शामिल है. राष्ट्रपति बाइडेन का बयान क्वाड लीडर्स समिट के दौरान आया, जिसमें रविवार को PM मोदी, जापान के PM फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के एंथोनी अल्बनीस शामिल हुए.
क्वाड नेताओं ने सदस्यता की स्थायी और गैर-स्थायी कैटेगरी में विस्तार के जरिए UNSC में सुधार के लिए समर्थन की शपथ ली. एक संयुक्त बयान में, नेताओं ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी धरती के लिए एक स्वच्छ, समावेशी, अधिक सुरक्षित और अधिक समृद्ध भविष्य के निर्माण के प्रयासों की सफलता के लिए जरूरी है.
राष्ट्रपति बाइडेन ने भारत के नेतृत्व, विशेष रूप से G-20 और ग्लोबल साउथ में PM मोदी की भूमिका की सराहना की और PM की पोलैंड और यूक्रेन की हालिया यात्राओं का भी समर्थन किया. UNSC के स्थायी सदस्य के रूप में भारत को शामिल करना मौजूदा वक्त में जियोपॉलिटिकल वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार के बारे में एक बड़ी बातचीत का हिस्सा है. भारत, अपनी बड़ी आबादी, बड़ी अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापना और कूटनीति में सक्रिय भूमिका के साथ, लंबे समय से ऐसे सुधारों की वकालत करता रहा है.
अमेरिका ने भारत की UNSC में स्थायी सीट का समर्थन किया है. जो बाइडेन ने इस बात को माना कि भारत को इस समूह में स्थान मिलना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि यहां क्वाड शिखर सम्मेलन के इतर मिले दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की.
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने 'विलमिंगटन घोषणा' में UNSC को अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि UNSC में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान, PM मोदी ने "स्वतंत्र, खुले, समावेशी और समृद्ध इंडो-पैसिफिक" के महत्व को दोहराया. उन्होंने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के मकसद से स्वास्थ्य सुरक्षा, उभरती टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग सहित कई मुद्दों का जिक्र किया, उन्होंने क्वाड को वैश्विक भलाई के लिए ताकत के रूप में बताया. जो सभी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमेरिका और भारत ने टेक्नोलॉजी और डिफेंस सहयोग में प्रगति का ऐलान किया. क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी पर पहल (iCET) सेमीकंडक्टर सहित मुख्य टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगी.
एक नया सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट लगाया जाएगा, जो भारत के सेमीकंडक्टर मिशन और भारत सेमी और 3rdiTech जैसी अमेरिकी कंपनियों के साथ साझेदारी से बनेगा. रक्षा में, दोनों देशों ने लिक्विड रोबोटिक्स और सागर डिफेंस इंजीनियरिंग द्वारा मानव रहित सतह वाहन प्रणालियों के सह-विकास जैसी परियोजनाओं के साथ औद्योगिक सहयोग किया है.