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BRICS Summit 2024: गलवान संघर्ष के बाद पहली बार आमने-सामने होंगे PM मोदी और जिनपिंग, द्विपक्षीय बैठक पर टिकीं सबकी निगाहें

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, 'मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर कल प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:10 PM IST, 23 Oct 2024NDTV Profit हिंदी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के बीच आज द्विपक्षीय वार्ता होनी है. ये मुलाकात इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों ही राष्ट्रध्यक्ष साल 2020 में हुए गलवान संघर्ष के बाद पहली बार आमने सामने होंगे.

PM मोदी BRICS समिट में हिस्सा लेने के लिए रूस के कजान में हैं. ब्रिक्स समिट पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. इस बार इसमें 36 देश भाग ले रहे हैं और उनमें से 20 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं.

बैठक में LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पैट्रोलिंग व्यवस्था पर सहमति के बाद भारत-चीन संबंधों में आए सुधार पर जोर दिया जाएगा, जिसे पिछले कुछ वर्षों में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

BRICS से अलग होगी PM मोदी-जिनपिंग की मुलाकात

अटकलों के बीच, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, 'मैं इस बात की पुष्टि करता हूं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर कल (23 अक्टूबर) प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी.

2020 के गलवान संघर्ष के बाद से दोनों नेताओं के बीच कुछ बातचीत हुई थी – नवंबर 2022 में इंडोनेशिया के बाली में G20 शिखर सम्मेलन और अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर.

LAC पर पैट्रोलिंग में सफलता गलवान घाटी संघर्ष के चार साल बाद मिली है और एक ऐसे क्षेत्र में डी-एस्केलेशन की दिशा में एक कदम का संकेत देती है जहां दोनों देशों ने हजारों सैनिकों को तैनात किया था. ये स्थिति को स्थिर करने और नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिशतों को सुधारने के लिए भी एक कदम है.

15 जून, 2020 को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे, दोनों पक्षों के हताहत होने की वजह से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया था. द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, इससे अन्य क्षेत्रों में भी तनाव पैदा हुआ था. चार साल से दोनों देशों के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं हुई थी.

इस संघर्ष की वजह से पिछले चार वर्षों से दोनों देशों के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं थी. चीन के टेक्नीशियंस के लिए वीजा भी अतिरिक्त सुरक्षा के बाद दिया जा रहा था.

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