US के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट लिखकर आरोप लगाया कि उन्हें निशाना बनाने के लिए डेमोक्रेट पार्टी ने जस्टिस डिपार्टमेंट को उनके पीछे लगा दिया और अमेरिकी जनता के 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा बरबाद किए.
ट्रंप ने लिखा - इस तरह की बदले की राजनीति अमेरिका में कभी नहीं हुई. उन्होंने सरकारी वकीलों का मेरे खिलाफ दुरुपयोग किया. मेरे खिलाफ एक अभियान चलाया गया. हमारे देश में इतने निचले स्तर की राजनीति कभी नहीं हुई. लेकिन मैंने इनका सामना किया और जीता.
ट्रंप ने बताया कि, 'ये मामले, अन्य सभी मामलों की तरह, जिनसे मुझे गुजरने के लिए मजबूर किया गया है, खोखले और कानूनविहीन हैं और इन्हें कभी भी दायर नहीं किया जाना चाहिए था. अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी यानी मेरे खिलाफ डेमोक्रेट पार्टी की लड़ाई में करदाताओं के $100 मिलियन से अधिक डॉलर बरबाद किए गए हैं. हमारे देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. उन्होंने राज्य अभियोजकों और जिला वकीलों का भी उपयोग किया है, जैसे कि फानी विलिस और उसके प्रेमी, नाथन वेड (जिनके पास इस तरह के मामलों में बिल्कुल शून्य अनुभव था, लेकिन उन्हें लाखों का भुगतान किया गया था, जो उनके लिए दुनियाभर में कई यात्राएं और जलयात्रा करने के लिए पर्याप्त था!), लेटिटिया जेम्स, जिन्होंने राजनीतिक कार्यालय जीतने के लिए अनुचित, अनैतिक और शायद अवैध रूप से 'गेटिंग ट्रम्प' पर अभियान चलाया, और एल्विन ब्रैग, जो स्वयं कभी भी मेरे खिलाफ यह मामला नहीं लाना चाहते थे, लेकिन न्याय विभाग और डेमोक्रेट पार्टी द्वारा उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया. ये एक राजनीतिक चाल थी और हमारे देश के इतिहास में एक निम्न स्तर का हथकंडा था और फिर भी मैं सभी बाधाओं के बावजूद डटा रहा और जीता. अमेरिका को फिर से महान बनाएंगे!'
अमेरिकी न्यायाधीश ने ट्रंप के खिलाफ 2020 के चुनाव मामले को खारिज कर दिया है.
ट्रंप ने साफ संकेत दिए हैं कि सत्ता में आने के बाद वो जस्टिस डिपार्टमेंट में बड़े बदलाव करेंगे. इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि डेमोक्रेट जाते-जाते कट्टर वामपंथी सोच वाले जजों की तैनाती चाह रहे हैं. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी से अपील की थी कि वो ऐसे प्रयासों को रोकें.
अमेरिका में अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों के बीच ट्रंप के को लेकर जस्टिम डिपार्टमेंट ये बयान अहम हैं. कानून की दुनिया के कई जानकारों को लगता है कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगे इन आरोपों में ज्यादा दम नहीं है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये अदाणी ग्रुप और भारत की ग्रोथ स्टोरी के खिलाफ चल रही मुहिम की ही एक कड़ी हो सकती है. इसमें अमेरिका और यहां भारत में बैठे राजनीतिक-गैर राजनीतिक लोग शामिल हैं.