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भारतीय मूल के वकील ने कहा- ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अदाणी ग्रुप के खिलाफ आरोप हटाए जा सकते हैं

रवि बत्रा ने कहा कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर गलत और दोषपूर्ण पाए जाते हैं तो उन्हें डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वापस लिया जा सकता है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी02:19 PM IST, 26 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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एक भारतीय-अमेरिकी वकील ने अमेरिका में अदाणी ग्रुप (Adani Group) पर लगे आरोपों पर सवाल उठाए हैं. वकील ने इस मामले को अमेरिकी कानूनों को दूसरे देश में लागू करने का मामला बताया. उनका कहना है कि इस मामले में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, वो अमेरिका में निवास नहीं करते हैं.

भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने ये बात न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में कही. उन्होंने कहा कि हमारे घरेलू कानून समान हैं, लेकिन अमेरिकी कानूनों के बाहरी क्षेत्र में इस्तेमाल के बारे में शुरुआती तौर पर मामला बनता है. उन्होंने कहा कि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ये मामला खत्म किया जा सकता है.

भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने कहा, 'अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) की ओर से दायर दीवानी के मामले में भी किसी दूसरे सिविल मामले की ही तरह पहले प्रतिवादियों को समन भेजना होगा और शिकायत की प्रति देनी होगी. इसके बाद उन्हें आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय देना होगा. अगर वो चाहें तो शिकायत या आरोपों को खारिज करने के लिए कदम उठाएं,जो अकाट्य सबूत की जगह केवल धारणा के आधार पर लगाए गए हैं.'

भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने कहा है कि अमेरिकी कानून को किसी दूसरे देश में लागू नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर अमेरिका के पूर्व चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स पहले ही एक फैसला सुना चुके हैं.

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद खत्म हो जाएगा मामला?

बत्रा ने कहा कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर गलत और दोषपूर्ण पाए जाते हैं तो उन्हें डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वापस लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हर नए राष्ट्रपति के पास उनकी नई टीम होती है. नए चुने गए 47वें राष्ट्रपति ट्रंप अपनी कैबिनेट के लिए FBI की जांच से गुजर रहे हैं.वे मामले को निष्प्रभावी बना देंगे. ये माममा अच्छी भावना से नहीं शुरू किया गया है. उन्होंने इसे कानून का उल्लंघन बताया है. बत्रा ने कहा कि निश्चित रूप से अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए ये मामला चुनिंदा लोगों पर बनाया गया है. ये मामला संघीय संविधान में दिए गए कानून के समान संरक्षण के लक्ष्य से इनकार करता है.

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