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US Elections 2024: कमला हैरिस या डॉनल्ड ट्रंप; भारतीय IT कंपनियों को प्रभावित करेंगे ये 5 फैक्टर

यहां उन पांच फैक्टर पर एक नजर डाली गई है जो भारतीय IT फर्मों को प्रभावित कर सकते हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:27 PM IST, 05 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस (Kamala Harris) और डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच कांटे की टक्कर है. भारतीय और ग्लोबल मार्केट को भी इस कड़ी टक्कर के नतीजे का इंतजार है. ये देखना खास होगा की इस चुनाव भारत की IT कंपनियों पर क्या असर होगा.

दरअसल ज्यादातर IT फर्मों के कई बड़े ग्राहक अमेरिका से हैं. इसलिए कोई भी पॉलिटिकल या पॉलिसी बदलाव इन कंपनियों को प्रभावित कर सकता है. वीजा पॉलिसी से लेकर कॉरपोरेट टैक्स तक, हमने यहां उन खास पांच फैक्टर्स का विश्लेषण किया है, जो भारतीय IT फर्मों को प्रभावित कर सकते हैं.

H-1B वीजा पर प्रतिबंध

कई भारतीय IT कंपनियों को क्लाइंट साइट पर जाने और काम करने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता होती है. इसे ऑनसाइट काम कहा जाता है. अमेरिका के बाहर के वर्कर्स को देश में काम करने की अनुमति देने के लिए H-1B वीजा की जरूरत होती है. इन वर्कर्स का रोजगार वीजा के अप्रूवल पर निर्भर करता है.

डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में H-1B वीजा की नामंजूरी की दर काफी बढ़ गई थी. अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल और US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के आंकड़ों के मुताबिक, शुरुआती रोजगार के लिए नए H-1B आवेदनों को खारिज करने की रेट FY15 के 6% से बढ़कर FY18 में 24% हो गई थी, लेकिन FY21 में ये घटकर 4% रह गई.

बाइडेन के कार्यकाल में FY21 और FY22 में H-1B वीजा की नामंजूरी दर सबसे कम 2% थी. भारतीय IT कंपनियों पर H-1B वीजा की नामंजूरी का असर कम होगा. दरअसल H-1B वीजा पर उनकी निर्भरता अब कम हो गई है, क्योंकि इन कंपनियों ने अमेरिका में ही स्थानीय कर्मचारियों की तैनाती कर ली है.

JM फाइनेंशियल का अनुमान है कि FY17 में इंफोसिस के 65% अमेरिकी कर्मचारियों के पास H-1B/L-1 वीजा था. ये FY20 में 50% से कम हो गया और आगे इस ट्रेंड के और नीचे आने का अनुमान है.

H-1B वीजा कर्मचारियों के लिए ज्यादा वेतन वाली पॉलिसी

ट्रंप ने अपने कार्यकाल में H-1B कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन सामान्य से काफी अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि इस पर अदालत में रोक लगा दी गई थी. अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो वे इसे फिर से लागू करने का प्रयास कर सकते है. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि H-1B वीजा वाले कर्मियों का वेतन पहले से ही ज्यादा है.

अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल के आंकड़ों से पता चलता है कि H-1B कर्मचारियों का वेतन 2021 में अमेरिकी वर्कर्स की तुलना में 2.4 गुना अधिक था. 2003 और 2021 के बीच H-1B वीजा वाले वर्कर्स का औसत वेतन 52% और अमेरिकी वर्कर्स का औसत वेतन 39% बढ़ा.

भारतीय IT कंपनियों पर H-1B वीजा वर्कर्स के लिए 'सामान्य से अधिक वेतन' का प्रभाव सीमित होने की संभावना है.

टैक्स रेट में बदलाव का प्रभाव

ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि रिपब्लिकन सरकार के तहत टैक्स की दरें कॉरपोरेट्स के लिए फायदेमंद होंगी, क्योंकि फिस्कल एक्सपेंशनरी पॉलिसीज के चलते उनमें कटौती की उम्मीद है. ऐसे में ये भारतीय IT कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक शासन के तहत कॉरपोरेट टैक्स के मौजूदा 21% से 28% तक बढ़ने का अनुमान है.

फेड रेट में बदलाव का असर

अमेरिका में ट्रंप के सत्ता में आने पर फेड के फैसलों पर प्रभाव बढ़ सकता है. JM फाइनेंशियल का कहना है कि ट्रंप की प्रस्तावित नीतियों से ब्याज दरों में तेजी आ सकती है और ग्लोबल ग्रोथ धीमी हो सकती है.

इसलिए इससे इंफ्लेशन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे उच्च ब्याज दरें हो सकती हैं. ये क्लाइंट बजट और IT पर उनके खर्च को बढ़ा सकता है. इससे भारतीय IT कंपनियां प्रभावित हो सकती हैं.

विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव

ट्रंप की नीतियों के तहत बढ़े हुए टैरिफ और ग्रोथ के लिए सरकारी खर्च में इजाफे से डॉलर मजबूत होगा. इस स्थिति में डॉलर कंवर्जन के चलते भारतीय IT कंपनियों को रुपये में ज्यादा आय होगी. जबकि हैरिस की नीतियों में डॉलर के कमजोर होने का अनुमान है, मतलब भारतीय कंपनियों को रुपये में इनकम कम हो सकती है.

Emkay के मुताबिक रिपब्लिकन पार्टी की जीत डॉलर के लिए सकारात्मक होगी. जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत फौरी तौर पर नकारात्मक साबित होगी.

रेवेन्यू पर प्रभाव

ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान इंफोसिस का FY2017-20 का रेवेन्यू 9.9% CAGR की दर से बढ़ा था. FY17 में रेवेन्यू 68,484 करोड़ रुपये रहा, जबकि FY20 में ये 90,791 करोड़ रुपये रहा था. TCS का इस अवधि में रेवेन्यू 10% CAGR की दर से बढ़ा. जबकि HCLTech की रेवेन्यू ग्रोथ 14.6% CAGR रही.

बाइडेन प्रशासन में इंफोसिस का FY21-24 रेवेन्यू CAGR 15.2% था, जिसमें रेवेन्यू वित्त वर्ष 2021 में 1 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024 में 1.53 लाख करोड़ रुपये था.

इसी अवधि के लिए TCS का रेवेन्यू CAGR 13.6% था और HCLTech की रेवेन्यू ग्रोथ 13.3% CAGR रही.

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